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________________ पट्टमहादेवी, उदयादित्य, बिट्टियण्णा, ये लोग राजमहल की ओर और स्थपति तथा यह युवक स्थपति के शिविर की ओर चले गये। युवक ने वहाँ के पत्थरों की परीक्षा करके अन्त में अपने काम के लिए उपयुक्त एक पत्थर को चुना। उसपर मोटे तौर पर चित्र के अनुसार लकीर खींचकर चित्र का ढांचा बनाया। इसके बनाने में उस युवक के हस्तकौशल और निखार को देखकर स्थपति का मन-मयूर नाच उठा। बाद में उन्होंने कहा, "मैं अब मन्दिर की ओर जाऊंगा। वहाँ मंचणा रहेगा, ओ चाहिए होगा यह सम देगा। उसे सब समझाकर जाऊँगा। यहाँ तुम्हारे कार्य में कोई बाधा न. पड़ेगी।" इतना कहकर स्थपति चले गये। सन्ध्या को सूर्यास्त के बाद, जब स्थपति अपने शिविर में लौटे तब उन्होंने इस युवक को कार्यमग्न पाया। स्थपति ने मंचणा से पूछा, "बेचारे ने पता नहीं, कब भोजन किया था। उसके जलपान आदि की कोई व्यवस्था की?" "पछा था, उसमे कहा कि मी हि .का सैठा तो इस जगह से हिला-डुला तक नहीं। लगातार काम पर ही बैठा है। विकट एकाग्रता है उसमें।" मंचणा ने कहा। "मैंने जो पाठ पढ़ाया था, सो तुमने मुझे ही सुना दिया। तुम बहुत चतुर हो गये हो। यदि उसने मना कर दिया तो तुम मान गये? भूखे रहकर बेचारा वह लड़का कितनी देर तक काम कर सकेगा? शरीर थकेगा तो एकाग्रता कहाँ रहेगी?" "मैंने हठ भी किया। परन्तु कुछ भी वश न चला। अब आप ही समझाएँ तो शायद भोजन कर लें।" स्थपति उस युवक के पास आये। देखा। जो कार्य हुआ था, उसे देख चकित रह गये। उन्होंने मन-ही-मन कहा, 'पता नहीं, इस शिल्पी की धमनियों में किस पवित्र शिल्पी का ओज बह रहा है। निस्सन्देह कल्पनातीत हस्तकौशल है।' फिर कहा, "बेटा, चलो, भोजन कर लें।" उस पुषक ने पीछे मुड़कर देखे बिना ही कहा, "खाएंगे तो आलस्य घर ही लेगा। प्रातः तक इसे सम्पूर्ण करना है। आप भोजन कर लीजिए।" "भूखे रहकर कार्य कैसे...?" "मुझे भूख ही नहीं है। मैं दत्तचित्त हूँ। कृपा करके मुझे इस समय दसचित्त ही रहने दीजिए।" "तुम्हारी पच्छा। थोड़ा दूध भिजवा दूँगा। कम-से-कम उसे अवश्य पी लेना। वेणुगोपाल को दूध-माखन बहुत प्रिय है।" "हाँ; यह ठीक है।" युवक बोला। स्थपति ने मंषणा से दूध लाने को 458 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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