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________________ उनकी इस उदारता के लिए तुम्हारा 'शंका करना उचित नहीं है। अनावश्यक शंका मत करो। उचित समय पर बात अपने आप सभी को स्पष्ट हो जाएगी।" "बाद को यदि सारे संसार को वह सब पता हो सकता है तो उसके लिए अभी यह एकान्त क्यों? यह रहस्य क्यों?" "जिस कार्य में लगी हैं उसमें एकाग्रता भंग न हो इसलिए।" "ऐसा क्या काम है? यह एकाग्रता क्या है-भगवान् हो जाने! मुझे तो कुछ भी समझ नहीं पड़ता।" "उसे समझने के लिए कला का परिचय होना चाहिए, कला के प्रति प्रेम होना चाहिए। कल्पना और प्रतिभा का होना भी आवश्यक है। जिसमें यह सब नहीं है, उसे उसके बारे में माथापच्ची नहीं करनी चाहिए?" ___ "सो मेरा दोष नहीं। मुझे इसके बारे में जानने के लिए अवसर ही नहीं मिला। मुझे यह लगा ही नहीं कि उसके बारे में भी रुचि होनी चाहिए।" "तो तुमको क्या-क्या लगा था? किसे जानने-समझने का अवसर मिला था?" "मन्दिर, पूजा और उसके लिए आवश्यक वस्तुएँ, अच्छा और स्वादिष्ट आहार तैयार करने की लगन; भगवान् का ध्यान, पारिवारिक कार्य, लीपा-पोती करना, चौक पूरना, सजाना...यही सब।" "वस्तुओं को सजाना भी कला है, चौक पुरना भी एक कला है, स्वादिष्ट भोजन तैयार करना भी एक कला है।" __ "सोना भी कला है, भोजन करना भी कला है, बैठना भी कला है, सिटपिटाना भी कला है; हम जो भी करते हैं, सब कला है। है न?" "यंग्य नहीं! देखनेवाली आँख को सौन्दर्यात्मक सभी बातें हैं। कला को बौद्धिक कल्पना या आधार पर रूपित करने के लिए एकाग्रता की नितान्त आवश्यकता होती है। मन को दसों दिशाओं में दौड़ाने से तपस्या सम्भव नहीं। तप में सिद्धि प्राप्त करना हो तो एकाग्रता रहनी ही चाहिए । तुमको इसका ज्ञान नहीं हो सका है। ज्ञान होने पर तुम स्वयं समझ सकोगी!" "अच्छा देखें, नन्दो राजा भविष्यति।" "तुमने स्वप्न में ही रानी बनने की बात नहीं सोची होगी, फिर भी जब बनीं तो यह कथन लागू कैसे हो?" "जब बात करो, तब सन्निधान यही कहा करते हैं। भले ही मुझे रानी कहकर न पुकारें, कोई चिन्ता नहीं। आप सदा मेरे बने रहें।" "मुझे तो जिन लोगों से पाणिग्रहण हुआ है उन सभी का होकर रहना है। मेरे हृदय में सबके लिए समान स्थान है।" 410 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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