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________________ होगा। परन्तु उससे बातचीत करते वक्त हमें एक बात सूझी थी। पोय्सल चक्रवर्ती ने हमें जो अपार सम्पत्ति दी है उसका विनियोग यादवपुरी ही में एक मन्दिर का निर्माण करने में क्यों न किया जाय? आपकी क्या राय है?" "आपकी इच्छा । इसमें मुझे क्या कहना है। इस कार्य में मैं अपनी शक्तिभर खुद की सेवा समर्पित करने के लिए तैयार हूँ।" "परन्तु वह गिरती ही नहीं है।" "उसे पकड़कर बुलवाने के लिए हम तो तैयार हैं, मगर आपने मना कर दिया न!" "हाँ, क्योंकि अधिकार बल से करायी जानेवाली कृति में सजीवता नहीं होती। इसलिए उस पर क्यों विचार करें!" "सारे राज्य में वह अकेला ही शिल्पी है? ऐसे सैकड़ों इस पोय्सल राज्य में हैं। पीढ़ियों से इस शिल्पकारिता में निष्णात अनेक परिवार यहाँ बसे हुए हैं। और ये घराने काफी मशहूर भी हैं। आप आज्ञा दें तो कल ही उनमें से सर्वश्रेष्ठ को बुलवा लाऊँगा।" __"अब रहने दीजिए; सोचकर निर्णय करेंगे। आज प्रसाद-स्वीकार यहाँ हो।" ___नागिदेवण्णा कुछ कह न सके। अपने घर सूचना भेजकर वह वहीं भोजन के लिए ठहर गये। भोजनोपरान्त कुछ देर इधर-उधर की बातें होती रहीं। इन बातों के सिलसिले में धीरे से नागिदेवण्णा ने मन्दिर की बात छेड़ी। उनके मस्तिष्क में यह बात समा गयी थी। आजकल में ही निर्णय कर लेना उचित समझते थे। क्योंकि गत रात को मन्त्रणालय में विचार-विनिमय करने के लिए सभा जब बैठी, तब महाराज ने अपने इस आशय को व्यक्त किया था कि आगे चलकर बेलापुरी को ही अपना प्रधान निवास बना लेना चाहिए। शायद राजकुमारी की इच्छा के कारण यह निर्णय इतनी जल्दी हो गया था। चाहे कुछ भी हो, सन्निधान का वेलापुरी में निवास हो तो वही राजकाल का भी केन्द्र होगा। तब यादवपुरी का महत्त्व घट जाएगा, ऐसा उन्हें लगा। यादवपुरी पर उनका अधिक लगाव रहा। आचार्यजी का विचार यदि दृढ़ होगा तो एक सुन्दर मन्दिर यहाँ बन जाएगा। अपने ही नेतृत्व में उसके निर्माण का कार्य कराने की बात को स्वीकार करवाकर स्वयं करा सकेंगे। यही सोचकर नागिदेवण्णा ने इस बात को छेड़ा था "तो यहाँ कौन-सा मन्दिर बनाने का विचार है?" "मन्दिर -निर्माण के बारे में अभी हमने निर्णय नहीं लिया है।" "अच्छा, अगर कभी निर्णय किया तो..." पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन :: 171
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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