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________________ में कहा, "अगर हेग्गड़जी भी यह कहें कि वह इस विषय में प्रवेश नहीं करेंगे तो फिर क्या करना होगा?" "हम बेलापुरी तो आ गये हैं। उधर सवारनायक अनन्तपाल सन्निधान से मिलने गये हैं। वे क्या कहते हैं। इसे पहले जान लें और तब सोचें कि आगे क्या करना होगा?" बम्मलदेवी ने धीरे से कहा । तभी बाहर से घोड़े के हिनहिनाने की आवाज सुन पड़ी। माचिकब्वे बाहर गयीं और कुछ ही क्षणों में हेगड़े दम्पती ने भीतर प्रवेश किया। ये दोनों उठनेवाली ही थीं कि इतने में उन्हें बैठने के लिए कहकर हेगड़ेजी खुद भी बैठ गये। अन्दर के दरवाज़े की योढ़ी के पास खड़ी हेग्गड़ती माचिकब्वे ने संक्षेप में कहा, "ये दोनों पट्टमहादेवी से मिलना चाहती हैं। ये पोय्सन राज्य में आश्रय पाना चाहती हैं। इसके लिए हमारी मदद चाह रही थीं। मैंने कहा कि राजमहल की चातों में हम प्रवेश नहीं करतीं और बताया कि मालिक से पूछ लूँगी।" मारसिंगय्या ने विस्फारित नेत्रों से उनकी ओर देखा के आगमन से हमारा घर पवित्र हुआ। कृपया यह पल्लव वंश की हैं और कौन पूर्वी चालुक्य वंश की ?" माचिक ने इस बार चकित होकर उनकी ओर देखा । ब्रम्मलदेवी ने बताया, "यह चालुक्य मंचिदण्डनाथ की भानजी राजलदेवी और कहा, “आप लोगों आप दोनों में कोन हैं ।" "ठीक, अब मालूम हो गया। आपके नायक अनन्तपाल ने सन्निधान के सामने सब निवेदन किया है। आपका काम आसान हो गया है।" मारसिंगय्या बोले । "तो, सन्निधान ने हमारे प्रति उदारता दिखायी?" वम्मलदेवी ने पूछा । "एक स्तर तक चर्चा हुई हैं, अभी किसी निर्णय तक नहीं पहुंचा जा सका है ।" "लो हम यह मानें कि हग्गड़जी ने भी उस चर्चा में भाग लिया है?" "सन्निधान के निर्णय को जब तक न जानेंगे तक तक इस सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।" "पट्टमहादेवी को भी इन बातों की जानकारी हुई है?" "शायद अभी तक नहीं ।" " तो उन्हें भी बताया जाएगा। यही न?" "सभी ख़ास बातें उन्हें मालूम होंगी ही । " पट्टमहादेवी शान्तला भाग दो : 411
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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