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नगर-प्रवेश और राजमहल में प्रवेश आदि यथाक्रम सम्पन्न हुए।
आनन्दित जनस्तोम ने उमंगभरे हर्षोल्लास के साथ जय-जयकार करते हुए स्वागत किया। इससे महाराज और विट्टिदेय दोनों को सन्तृप्ति मिली थी। उसी दिन शाम को राजमहल के प्रांगण में समाविष्ट बृहत् सभा में महाराज 'जगदव-प्रबलपन्नग-बैनतेय' और 'रिपुजलधि-बड़वानल' की विरुदावली से विभूषित हुए। 'मूाभिषिक्त महाराज होने के नाते हम इन विरुदावलियों को पारम्परिक रीति से स्वीकार करेंगे। परन्तु इन दोनों विजयों की कीर्ति हमारे प्रिय भाई और आप सबके प्रीतिपात्र चिट्टिदेव को ही मिलनी चाहिए। इस विजयोत्सव के सन्दर्भ में 'जग्गदेव-वल-विलय-भैरव' विसद से विट्टिदेव विभुषित होवें-यह हम चाहते हैं।" महाराज ने कहा।
हषोद्गार के साथ ताली बजाते हुए उस महासभा ने अभिनन्दन किया।
ऊँची आवाज से लोगों ने नारा लगाया, "पोयसल सन्तानश्री:..." जनस्तोम ने उत्तर में उद्घोष किया "चिरमभिवर्धताम्।" एक बार फिर तालियों से प्रांगण गूंज उठा।
उस प्रांगण में परकोटे के बुजों पर लगे पोरसल लांछन युक्त शार्दूल-पताकाएँ फहर-फहरकर इन ताली बजानेवालों का साथ दे रही थीं।
फिर सबने एक कण्ठ हा घोषित किया, "रिमभिवर्धता पोय्सत्तसन्ताननीः !'' और मंगलवाद्य-घोष के साथ यह भारी सभा विसर्जित हुई।
सेवा से निवृत्त होने के बाद मरियानं दण्डनायक सिन्दगेरे में शेष जीवन आराम से व्यतीत कर रहे थे। यह कहने की जरूरत नहीं कि ये विजयोत्सव के इस सन्दर्भ में उपस्थित रहे। उपस्थित तो रहे, परन्नु विजयोत्सव आयोजन के सन्दर्भ में कार्यक्रम रूपित करने के लिए जो सभा हुई थी, उसमें उन्होंने भाग नहीं लिया था। तो भी सभी प्रमुख कार्यक्रमों में उपस्थित थे। वास्तव में उनमें पहले का-सा उत्साह नहीं दिखता था। अपनी इन बेटियों ने पृथक्-पृथक् उनसे जो बातें कहीं, उन्हें सुनकर उनका मन शायद आलोडित हुआ हो । बोप्पदवी के गर्भवती होने के समाचार से उन्हें सन्तोष तो था, तो भी इस सम्बन्ध में राजमहल में हुई बातें और यटित घटनाएँ सुनकर उनका मन आलोडित हुए बिना रह भी कैसे सकता था? राज्य के महादण्डनायक के पद पर रहकर उन्होंने बहुत अनुभब पाया तो था ही। सीधे न सही, तो अप्रत्यक्ष रूप से ही, प्रकारान्तर से विषय-संग्रह तो उन्होंने किया ही था। जिन-जिन से उनका व्यक्तिगत परिचय था, उन सभी से उन्होंने जानकारी प्राप्त की थी। सब जानकर भी कहीं कोई प्रतिक्रिया उन्होंने नहीं दिखायी थी।
पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :: ५!!