SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "एक तो बात यह कि वह तो खुद पार पा जाएगी। दूसरी यह कि मैंने कहा था, यह काम पट्टमहादेवी को पसन्द हैं, बाद में तुम्हें खूब इनाम दिलवाऊँगा ।" "परन्तु बेचारी पटरानी ने यह तो कहा नहीं था न?" "इससे क्या ? मुँह से कहा नहीं, पर उनके मन में यह बात थी।” "मन में कुछ भी रहे। वह बुरा काम तुमने क्यों किया?" "यह सब मत पूछो। किसी लक्ष्य के बिना कोई भी किसी काम को नहीं करता ।" "मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता। में सब बातें पटरानी जी से कह दूँगी।" "कहो, कौन मना करता है? मैं भी कहूँगा। तुमने अपनी मान-मर्यादा की रक्षा के लिए दाई से यह कहकर कि पट्टमहादेवी के दो महीने लगे हैं, महाराज शहर में नहीं, उनके गौरव की रक्षा करनी है, खूब इनाम दिलाऊँगी, तुम वह दवा दो । और दवा लेकर तुमने अपनी मर्यादा बचा ली। तुम भी कहो, मैं भी कहूँगा।" "हाय हाय ! ऐसा काम मत करो। " "तुम मुँह बन्द कर चुप पड़ी रहो, सब ठीक हो जाएगा।" "जाय भाड़ में, कुछ भी करो। तुम जैसे भालू के साथ जो फँस गयी हूँ न !” "बेचारा भालू क्या करता है। यह तो गुदगुदाकरभर “हाँ, गुदगुदाकर हँसाकर मार डालता है। तुम भी वैसे ही हो, सुख देकर बरबाद भी कर देते हो, ऐसा ही लगता है।" " अब यह बात क्यों? तुमको कुछ भी तकलीफ़ न हो, मैं इसकी देखभाल कर लूँगा। हुआ न?" यह सम्भाषण समाप्त हुआ । शान्तलदेवी ने पटरानी और चामलदेवी को आनं का इशारा किया और स्वयं आगे चलने लगी। इशारा पाकर दोनों ने उनका अनुसरण किया। तीनों ने एक साथ केलिगृह में प्रवेश किया। वहाँ देखते क्या हैं? नग्न स्त्री-पुरुष। तीनों ने एक साथ उन्हें धिक्कारा और आँचल से मुँह बन्द कर लौट पड़ीं। इतने में शान्तलदेवी ने ताली बजायी । दण्डनाथ माचण और मारसिंगय्या तथा कुछ सिपाही वहाँ आ पहुँचे । जब ये तीनों देवियाँ बाहर आ रही थीं, मारसिंगच्या ने कहा, "अम्माजी, हमने सब कुछ सुन लिया है। इन लोगों की गिरफ़्तार कर जेल में रखेंगे। शेष सब काम सन्निधान के लौटने पर ।" इस घटना का पता किसी को नहीं लगा । शान्तदेवी ने पट्टमहादेवी से या चामलदेवी से कोई बातचीत नहीं की। शाम का भोजन और दूसरे दिन के कार्यकलाप की ओर सबका ध्यान लगा रहा । पूर्व नियोजित व्यवस्था के अनुसार महाराज बल्लाल और राजा बिट्टिदेव का [38] :: पट्टमहादेवी शान्तला भाग दो
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy