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________________ चिकित्सक ने स्वीकृति के भाव से सिर हिलाकर सूचित किया। "हम अपने डेरे में ही रहेंगे। कुछ अच्छा होते ही हमें खबर दीजिए" कहकर उस अँधेरे ही में वे अपने डेरे की ओर चले गये। चेंगाल्वों की सेना के, उस जंगल से निकलकर, हमला शुरू करने से पहले ही बिदिदेव और डाकरस की सेना ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया, और धकधक जलते मशाल शत्रुओं पर फेंकना शुरू कर दिया। छिपने के ख़याल से शत्रुओं ने जगह-जगह से पेड़ों के तनों को काट-काटकर इधर-उधर फैला दिया था। इससे पोय्सल सेना को बहुत मदद मिल गयी। फेंके गये मशालों की आग से वे झाड़-झंखाड़ जल उठे। देखते-ही-देखते वहाँ दावानल-सा फैल गया। शत्रु-सेना भौचक्का हो गया, और सिर पर पाँव रख इधर-उधर से भाग खड़ी हुई। आधी रात के पहले ही शत्रु का पता तक नहीं रह गया । बचे-खुचे लोग पकड़ लिये गये। कुछ हथियार भी हाथ लग गये। परन्तु उनका नायक आनन्दिनी नहीं पकड़ा जा सका। आधी रात के बाद एक-आध पहर का समय बीत चुका था कि विट्टिदेव महाराज के डेरे पर वापस आ गये। वह भी डसी डेरे में महाराज के साथ रह रहे थे। ____महाराज बल्लाल अभी सोये नहीं थे। उन्हें बैठे देख बिट्टिदेव बोले, “आसानी से हमारी जीत हो गयी। पता नहीं वह कौन था जिसने हमें बचाया और हमारे लिए इतनी आसानी से जीते जाने का मार्ग दिखाया? उस पुण्य पुरुष की हालत अब कैसी है? उसके बारे में कोई समाचार सन्निधान को मिला हैं कि वह कौन है?" बिट्टिदेव ने निवेदन किया। ____ 'यह सब मालूम नहीं। पर इतना सच है कि यह व्यक्ति बड़ा चतुर है। ठीक वक्त पर हमें होशियार न करता तो हम दोनों अब तक प्रभु के पास पहुँच गये होते। प्रसाद मानकर जहर खा लेते तो आध घण्टे में हमारी जीवन-लीला समाप्त हो गयी होती।" "उस व्यक्ति को यह सब मालूम कैसे हुआ? इस युद्ध शिविर में कब आया। कैसे आवा: किसके हुक्म से आया?" "इस सबका व्यौरा बताने के लिए उसमें शक्ति नहीं रही। खुखरी का याव बड़ा गहरा है। बहुत रक्तस्राव हुआ है। बड़ा कमजोर हो गया है वह । तत्काल चिकित्सा की व्यवस्था न हुई होती तो शायद ही उसके प्राण अब तक बचते।" "अब आगे का क्या कार्यक्रम है? बापस लौटना ही न?'' "एक-दो दिन यहीं ठहरेंगे। महादेवजी के प्रतिष्ठा समारोह के ही लिए कुछ और लोग भी तो आये हैं। इनमें पचहत्तर प्रतिशत तो हमारे सैनिक ही हैं, वह उनको मालूम नहीं। उन्हें भी यह खबर सुनागें और उनसे कहें कि सीमा प्रान्तों 296 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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