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________________ में रखते हुए समयानुकूल सात से बात करने में ये बड़े चतुर हैं। जग्गदेव के हमने की वात जानकर, हो सका तो उन्हीं से हमारी शक्ति को कण्ठित करने के इरादे से, उनके पास जाकर अपनी वामाचार शक्तियों की डींग भारकर, गरेयंग प्रभु के मारने को अपनी शक्ति का प्रताप बताकर, उसे अपने वश में करके तात्कालिक रूप से उसकी सेना में इन्होंने प्रवेश पाया और उसके गुप्तचर बनकर काम किया। इनका सारा किस्सा हमें मालूम है। ये दोनों हमारे बन्दी हो गये. इस बात का पता उस आटियम का कैसे लगा, पता नहीं। अभी परसों यात्रा के भेष में एक व्यक्ति आया था। कहता था कि उसकी पत्नी को कोई भूत-पिशाच की बाधा है। इस बहाने यह वामाचार्ग पण्डित का पता लगाने के लिए इधर-उधर पूछताछ करता रहा। इस पर शंका हुई तो उसे पकड़ लिया, ज्यों-त्यों करके उससे सच्चो बात निकलवायी। उसका नाम इसकया है। वह जग्गदेव के युद्ध-शिविर में, जब ये लोग थे, इनसे मिलने आया था। यहाँ से आदियम के पास ख़बर भेजने की बात चलदेवी जानती हैं। हम इसकन्या के चाल-चतन की गतिविधि पर शंका उत्पन्न होने के कारण जब मैंने इस पकडकर यांफ़्त किया तो इसन अपना नाम प्रभुवय्या बताया और का कि तला संक्रमण के अवसर पर स्नान करने तलकावेरी की यात्रा कर, वहाँ से उदभव हानवात पवित्र गंगाजल को लाकर उसे अपनी पानी पर छिड़केगा तो उसकी भूतपीड़ा का परिसार हो जाएगा-यों उसे उसके गुरु ने बताया है। और यह भी उसने बताया कि दोरसमुद्र रास्ते में पड़ता है। महावैभवशाली नगर हैं यह भी सुन रखा था। दौरसमुद्र आया तो यहाँ किसी ने बागशक्ति पति के बारे में बताया इससे उसे देखने का कनहल हुआ-यों उसने मनमाने कुल किम्से गढ़े। उसने यह भी कहा कि मान्यखेड़ का हैं। राजनीति से उसका कोई सम्बन्ध नहीं, केवल यात्रार्थी है। फिर भी मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने अपने साथी गुप्तचरों को दिखाकर, चलदेवी को भी संकेत कर दिया। चद्दलदेवी को देखत ही उसकी छाती फट गर्या । उसके सामने लाने सच बात कह दी। आदेश हो तो उसे अभी बुलवाया जा सकता है।''-चाधिमय्या ने विस्तार के साथ सारा किस्सा. किसी तरह की शंका के लिए मौका ही न हो, इस तरह स्पष्ट रूप से सुना दिया। ___ इसकया का नाम सुनते हो चोंकी और वामाचारी एकदम फक पड़ गये। अन्य बातों को उजागर करने के लिए साक्षी बनकर खड़ी चट्टला की मौजूदगी में झूर कहकर बच निकालना सम्भव नहीं था। ___“हाँ, तो अब सारी सच्चाई को सीधे-सीधे सामने रख दी। अन्यथा प्रताड़ना देने पर सव-छि उगलवा लिया जाएगा।'' विदिदेव ने कहा। ''हमें सूली पर चढ़ा दीजिए, हम तैयार हैं। गुप्तचर चामिया ने जैसा बताया, हम दोनों आइयम कंी गुप्तचर हैं। हम वामाचार नहीं जानते। वह सब 232 :: पट्टमहादेवी शान्ताला : भाग दो
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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