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________________ कि भगवान् ने मुझपर कृपा क्यों नहीं की। इस विषय पर पति-पत्नी में जब बातें होत तो त्यारण्या पत्नी से कहता, "कितनी ही स्त्रियाँ शादी के पन्द्रह वर्ष बाद भी गर्भवती होती हैं, ऐसा क्यों नहीं सोचतीं ।" मल्लि कहती, "किये गये पाप कर्मों का फल भोगना है न ? उस पुनीता माता को खतम करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया था न ? इस पाप को भोगोगे नहीं तो क्या करोगे।" वह डंक तो भारती, फिर भी आपस में कटुता को मौका नहीं देती थी। इधर सम्राज्ञी चन्दलदेवीजी को कल्याण सुरक्षित पहुँचाकर चिण्णम दण्डनायक और चलिकेनायक तो लौट आये, परन्तु गालब्बे और लेंक वहीं रह गये। उन्हें प्रतिदिन बलिपुर की याद हो आती प्रार्थना करते से ईश्वर कृपा का कि शान्तः- देव का विवाह हो । युव संवत्सर बीता, धातृ संवत्सर का आरम्भ हुआ। युवराज एरेयंग प्रभु के द्वितीय पुत्र का उपनयन निश्चित हुआ। सब जगह आमन्त्रण पत्र भेजे गये। उपनयन का समारम्भ दोरसमुद्र में ही होनेवाला था, इसलिए इन्तजाम की सारी जिम्मेदारी मरियाने दण्डनायक पर ही थी। किस-किसको आमन्त्रण भेजना है इसकी सूची तैयार की जा चुकी थी। यह सूची उसने अपनी पत्नी को दिखायी यद्यपि इधर कुछ समय से वह राजमहल की बातों का जिक्र उससे करता न था । उसने सारी सूची देखी और पढ़ी तो वह गरजने लगी, "बलिपुर के हेगड़े हेग्गड़ती और वह सरस्वती का अवतार उसकी लड़की नहीं आएँगे तो छोटे राजकुमार का उपनयन होगा? उन्हें नहीं बुलाएंगे तो प्रभु और युवरानीजी आपको खा नहीं जाएँगे? ऐसा क्यों किया ?" "हाय, हाय, कहीं छूट गया होगा। अच्छा हुआ, सूची तुम्हें दिखा ली। उनका नाम जोड़कर दूसरी सूची तैयार करूँगा।" " 'आँखों को चुभे नहीं, ऐसा जोड़िए, पहले नाम न लिखें। सूची के बीच में कहीं जोड़ दें। " " 'अच्छी सलाह है।" युवराज ने सूची देखी। "ठीक है दण्डनायकजी, अनिवार्य रूप से जिन-जिन को आना चाहिए उन सभी की सूची ध्यान से तैयार की गयी है। इन सबके पास सभी को मेरे हस्त मुद्रांकित आमन्त्रण- पत्र पहले भेजे जाएँ।" "जो आज्ञा । " - प्रभु द्वारा हस्तमुद्रांकित आमन्त्रण पत्रों का दुबारा मिलान मरियाने ने पत्नी के साथ किया। उन्हें मन्त्रणालय के द्वारा वितरण करने के लिए भेज दिया। 312 :: पट्टमहादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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