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________________ ही सेवा में हैं।" __ "बात यह है कि मेरे यहाँ आने के बाद ही भाई और भाभी को मेरा परिचय मिला। इससे पूर्व उन्हें इस बात का स्मरण ही नहीं रहा। तुम्हारे परदादा और मेरे दादा भाई-भाई थे। मेरे दादा कल्याण में जाकर बस गये। शायद इसलिए इधर से रिश्तेनाते टूट गये होंगे।" "तो आपकी महारानीजी अब कल्याण में है?" "न, न, वे रणक्षेत्र में गयी र्थी, मैं तो थी ही। एक रात वे वहाँ से अचानक गायन हो गयीं। तब तुम्हारे युवराज ने मुझे यहाँ भेज दिया।" "तो क्या बड़ी रानीजी वैरियों के हाथ पड़ गयीं?" "शायद नहीं।" "तो वे गयीं कहाँ, और गयीं क्यों?" "वह तो एक अबूझ रहस्य है।" ''रामोजा युद्ध-विद्या में कुशल तो है न?' "न, न. उनके माता-पिता ने तो उन्हें फूल की तरह पाला-पोसा था। वे झुककर अपनी ऑगया तक नहीं उठा सकती, फिर युद्ध-विधा कैसे सीख सकती थीं?" "तो वे युद्ध-शिविर में क्यों गयीं?" "वह उनकी चपलता थी। मैं महारानी हूँ और चूँकि यह युद्ध मेरे कारण हो रहा है. इसलिए इसे मैं प्रत्यक्ष रहकर देखना चाहती हूँ, कहा और बैठ गयीं हठ पकड़कर। महाराज ने उन्हें बहुत समझाया, कहा उनके शिविर में होने से अनेक अड़चनें पैदा हो जाएंगी। जो अपनी रानी की ही रक्षा न कर सकेगा वह राज्य की रक्षा कैसे कर सकेगा! उनके इस प्रश्न के उत्तर में महाराज को उन्हें युद्ध-क्षेत्र में ले ही जाना पड़ा। महारानी ने सोचा कुछ और हुआ कुछ और हो। इसीलिए तुम सबको कष्ट देने के लिए मुझे यहाँ आना पड़ा।" "न, न, ऐसा न कहें। आप आयीं, इससे हम सभी को बहुत खुशी हुई है। माँ कह रही थी कि कोई खोयी वस्तु पुन: मिल गयी है, हमें इस बान्धव्य रूपी निधि की रक्षा करनी चाहिए और विशेषत: तुम्हारे किसी व्यवहार से फूफी को कोई कष्ट नहीं होना चाहिए।" भाभी इतनी अच्छी है, यह बात मुझे पहले मालूम न थी वरना मेरे यहाँ ही आने का मुख्य कारण यह था कि तुम्हारे मामा, जो अब भी उस युद्ध-शिविर में हैं, ने मुझे इस रिश्ते का ब्यौरा देकर यहीं आने को प्रेरित किया।" "तो फूफीजी, मुझे कल्याण के राजा और रानी के बारे में कुछ और बताइए।' "बताऊँगी, अम्माजी, जरूर बताऊँगी।" "मेरी फूफी बहुत अच्छी है"कहती हुई शान्तला उसके गाल का एक चुम्बन 184 :: पट्टमहादेवो शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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