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________________ हो?" "अभिलाषा बच्चों में भी हो सकती है। लव-कुश बच्चे ही थे जिन्हें मुनिवर वाल्मीकि ने सब विद्याएँ सिखायी थीं और जिन्होंने श्रीराम की सेना से युद्ध किया था।" __ "यह कथा सुनकर तुम्हें प्रोत्साहन मिला हो सकता है। पर प्रश्न यह है कि वह सब सीखकर तुम क्या करोगी?" "मैं युद्ध में जाऊँगी। मैं लोगों की जान की और गौरव की रक्षा में इस विद्या का उपयोग करूंगी।" "स्त्रियों को युद्ध क्षेत्र में, युद्ध करने के लिए ले ही कौन जाएगा?" "स्त्रियाँ युद्ध करने की इच्छा प्रकट करें और उन्हें युद्ध का शिक्षण दिया जाए तो वे भी युद्ध में ले जायी जाने लगेंगी।" "नहीं ले जायी जाने लगेंगी क्योंकि वे अबला हैं।" "उनके अन्बला होने या न होने से क्या अन्तर पड़ता है? क्या अकेली चामुण्डा ने हजार-हजार राक्षस नहीं मारे, महिषासुर की हत्या नहीं की? अधर्म-अन्याय को रोकने के लिए देवी कामाक्षी राणसी नहीं बनी ?" "अब्बा ! तुम्हें तो राजवंश में जन्म लेना चाहिए था, अम्माजी । तुम हेग्गड़े के घर में क्यों पैदा हो गयीं?" "वह मैं क्या जानें?" "मैं फिर कहूँगी, तुम-जैसी को तो राजवंश में पैदा होना चाहिए था।" "क्यों?" "तुम्हारी जैसी यदि रानी बने तो लोकोपकार के बहुत से कार्य अपने आप होने लगें "क्या रानी हुए बिना लोकोपकार सम्भव नहीं?" "है। परन्तु एक रानी के माध्यम से वह उपकार बृहत्तर होगा।" "सो कैसे?" "देखो, रानी का बड़ा प्रभाव होता है । राजा के ऊपर भी वह अपना प्रभाव डाल सकती है, उसके नेक रास्ते पर चलने में सहायक हो सकती है।" "फुफी, यह ज्ञान आपको प्राप्त कैसे हुआ?" उसके इस प्रश्न पर वह फिर असमंजस में पड़ गयी, परन्तु उससे उभरने का मार्ग इस बार उसने कुछ और चुना, "चालुक्यों के राजमहल में रहने से, उसकी बड़ी रानी चन्दलदेवी की निजी सेवा में रहने से मुझे यह ज्ञान प्राप्त हुआ है।" __ "मी ने या पिताजी ने तो कभी नहीं बताया कि हमारे अत्यन्त निकट बन्धु चालुक्य राजाओं के घर में भी हैं, जबकि हमारे सभी बन्धुगण पोय्सल राजाओं की पट्टमहादेवी शान्तला :: 183
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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