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________________ अपनी रक्षा करने के हेतु राजा को दण्डऔर कोष को अपने अधीन रखना चाहिए।42 दण्ड (सेना) की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कौटिल्य अर्थशास्त्र' में कहा गया है कि-दण्डनीति अप्रास वस्तुको प्रास करा देती है, जो प्राप्त हो चुका हो उसकी रक्षा करती है, यह रक्षित वस्तु को बढ़ाती हैं और बढ़ी हुई वस्तु का उपयुक्त पात्र में उपयोग करती हैं। लोक यात्रा (सामाजिक व्यवहार) इस दण्ड नीति पर निर्भर है, अत एव जो राजा लोकयात्रा का निर्माण करने में तत्पर हो, उसे चाहिए कि सदा दण्डनीति का उपयोग करने को उद्यत रहे।43 सेना की परिभाषा : जो शत्रुओं का निवारण करके धन, दान व मधुर भाषणी द्वारा अपने स्वाभी को सभी अवस्थाओं में शक्ति प्रदान करती है. उसका कल्याण करती हैं. उसे सेना करते हैं।44 सेना के भेद : समस्त प्राचीन ग्रन्थकर्ता आचार्यों ने सेना के चार अंग माने है और उसे चतुरङ्ग बल के नाम से सम्बोधित किया है।45 '' पासणाहचरिउ" में कालयवन नरेन्द्र और राजा अर्वकीर्ति के युद्ध के समय चार प्रकार की सेना का उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार है। 1. हस्ति सेना46 2. अश्व सेना47 3. रथ सेना48 4. पदाति सेना49 42 कौटिल्य अर्थशास्त्र 8/2 आलव्यलाभार्था लब्धापरिरक्षिणी रक्षितविवर्धनो वृद्धस्य तीथेषु प्रतिपादनी छ । तस्यामायत्ता लोकयात्रा। तस्माल्लोकयात्रार्थी नित्यमुद्यतदष्ठ: स्यात् ॥ कौटिलीय अर्थशास्त्रम् 114 द्रविाणदानप्रियभाषणाभ्यापराति निबारणेन यद्धि हितं म्वामिनं सावस्थास चलते संवणोतीति बलम्-नीतिवाक्यामृत 22.1 45 पद्मचरित 27:47, बराङ्गचरित 2/58-59 द्विवसन्धानपहाकव्य 16:8 46 पास. 36 47 वहीं 3.6 48 बहो 3.6 49 दही 37 ASIASISASTESTSrastastess 163 MsThesesexsusrusress,
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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