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________________ शालि बीजों की छोटी-छोटी ढेरियाँ लगाने का भी उल्लेख है। मांसाहार की यहाँ निन्दा की गई हैं। कहा गया है कि जीवों को मारने से वसा, रुधिर, मैदा एवं अस्थिमिश्रित मांस की उत्पत्ति होती है। जो पापी व्यक्ति निर्दोष तिर्यञ्च का वधकर मन में रागपूर्वक उसके मांस का भक्षण करता है, वह मनष्य के रूप में प्रत्यक्ष यम कहा जाता है। ऐसा जानकर तथा उसकी निकृष्ट स्थिति सुनकर मांसभक्षण को छोड़ देना चाहिए।19 भोजन दिन में ही करना चाहिए तथा अनछना पानी नहीं पीना चाहिए।20 मद्यपान गर्हित माना गया है। मद्यपान करने वाले नरक में जाते हैं।1 मद्यपान की गणना सप्तव्यसनों में की गई है 2 मद्यपान से उन्मत्त व्यक्ति भटकता फिरता है। लज्जा छोड़कर वह नीच कार्य करने लगता है, कोई भी उसे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता। मदिरापायी अनर्गल प्रलाप करता हुआ घूमता है।23 बीमारी : रइधू ने 'पासणाहचरिउ ' में पित्तदाह24 नामक बीमारी का उल्लेख किया है। लोगों की यह बीमारी बालक पाव के प्रभाव से भङ्ग हो गयी। विद्यायें : 'पासणाहचरिउ' में आगमशास्त्र25 तथा वेद 26का उल्लेख हुआ है। आगमशास्त्र से यहाँ तात्पर्य जिनवाणी से है और वेद के अन्तर्गत ऋग्वेद, यजुवेंद, सामवेद तथा अर्थववेद आते हैं। वेदों में स्वरगान का विशेष महत्व है। तृतीय सन्धि नें कहा गया है कि राजकुमार पार्श्व के प्रभाव से अर्ककीर्ति की सेना उसी प्रकार त्रस्त हो गई, जिस प्रकार वेदगान में स्वरभग्न होने से कोई ब्राह्मण यति भ्रष्ट हो जाता है।27 विद्याध्ययन करने वाले सुशिष्य का मन यञ्चल 18 पामणाहचरित. 2:13 19 वहीं 5/9 20 वही 5/8 21 वही 3/24 22 वहीं 5/8 23 वही 5/10 24 वहीं 2/13 25 यही 1/7 26 वहीं 67 27 वहीं 3/8 PASxesrushesnessessies145 Resrustestswersruster
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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