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________________ पक्कल पाइक्क मुयंति हक्क विणिण वि बल जोह मुर्यति थक्क । जुझंत, विण्णि वि साहणाई दलु चलिउ ताम तहि अरियणाहैं । 317 अत्यन्त तीक्षण तलवारें खींच ली गयीं, मानों यमराज प्रत्यक्ष ही जीभ दिखा रहा हो। वीर पार्श्वजिनेन्द्र को भयानक काल के समान मानकर कोई भी योद्धा शरण धारण नहीं कर पाया । प्रधाड़ों के हार, मयूथ अभिड़ा कर दिए गए। (दोनों और के) बलशाली योद्धा परम्पर में एक दूसरे को खण्डित करने लगे। किसी का हाथी, तो किसी का घोड़ा विदीर्ण हो गया। किसी के द्वारा किसी का शीर्ष ही छिन्न-भिन्न हो गया। किन्हीं ने अञ्जन पर्वत के समान कान्ति वाले मदोन्मत्त हाथी को मार गिराया तो किसी ने सागर की चञ्चल तरङ्ग के समान धोड़े को सुभट सहित मार गिराया। चन्द्रनन नामक शस्त्र के द्वारा उत्तम धवल वर्ण के छत्र काट दिये गये। उससे ऐसा लगने लगा, मानो रणभूमि में कमल ही खिल उठे हों। फहराती हुई ध्वजायें काट दी गईं। उससे ऐसा प्रतीत होता था। (मानो) पृथ्वी पर असतियों के वस्त्र ही पड़े हों। समर्थ पदातिगण आह्वान करते थे (और) दोनों ओर की सेनाओं के योद्धागण थक कर मरते थे। दोनों ओर की सेनाओं के युद्ध करते-करते शत्रुओं का दल भाग गया। नरक की विविध वेदनाओं के वर्णन के प्रसङ्ग में वीभत्स रस का परिपाक हुआ है : अण्णोण्ण वि णिहर्णति परोप्परु सुहु ण लहंति तत्थ णिमिसंतरु 1 संडासहिँ उब्बेबि वि दुहगुहिँ गालिवि लोहु खिवहि णारइ मुहिँ । गलिवि जाइ पुणु मिलइ खणंतरि जिम सूयय लव होहि णिरंतरि । णारयविंदहिँ पुणु संदाणिउँ खेत्तविसें वइरु विणायउं । धगधगंतु इंगालसमाणउँ आयस थंभालिंगण ठाणउं । देवाविवि पुणु जंपहि रे खल परतियआलिंगिय पइँ चिरु छल । अणेक वि स मलितरु लाइविा तणु णिहसंति सीसुतणु साहिवि । तच्छाउ वि जइ कहमदि छुट्टइ। तिब्ब तिसाइउ सोणिउ घुट्टइ । पुणु घणघाएँ सिरि ताड़िजइ तत्त कडाहि तेल्लि सो खिज्जइ।। कुंभी पाय समुभव दुक्खइँ पुणु फरसग्गिणिदाह असुक्खई। 5/19 नारकी परस्पर में एक दूसरे का हनन करते हैं और वहाँ निमिष भर के लिए भी उन्हें सुख प्राप्त नहीं होता। संडासी से नारकियों के मुँह फाड़कर उनमें PESASRestushasReseses 109 KMSResesxesexesterest
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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