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________________ - नृपति = णिवई = ई - दृश्यते = दिसइ = रु . भ्रातृ : भायरु दीर्घ अन्त्य स्वर कहीं-कहीं ह्रस्व हो गया है। प्रदक्षिणा = पयाहिण 5/34 पद्धड़िया = पद्धडिय 7/6 वेश्या - वेस 5/5 भ्राता = भाउ 6/8 परदारा - परदार 58 प्रचला ___. पयल 4/12 परदेशी = परिएसि 4/2 वज्रसूची .. पत्रिसूइ 2/13 प्रतिदिशा :- पडिदि...22 : भज्ज 6/2 कहीं-कहीं ह्रस्व स्वर दीर्घ हो गया है: अवन्ति = अवंती 2/1,3/1 दीप्त = दित्तु 5/21 स्वर समीकरण - युगल = जुअलु 7/5 च्युत = चुडे 4/17 सूत्र = सुत्तु 7/8 निकृष्ट = णिकिट्ठ 6/4 स्वर लोप - आदि स्वर लोप - अरण्य ... रण 3/5 अनन्त णंत अलंकृत = लंकित मध्य स्वर लोप . बर्वर = बब्बर 5/6 वामादेवी = वम्मएवि 1/10 वामा = वम्मा 5/21 स्वरागम - पवित्र पवित्तउ6/2 निर्मल = णिमल्लु 2/11
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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