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"तात बहुत कहा कहिए. जैसे रागादि मिटावने का श्रद्धान होय सो ही श्रद्धान सम्यग्दर्शन है। बहुरि जैसे रागादि मिटावने का जानना होय सो ही जानना सम्यग्ज्ञान है। बहुरि जैसे रागादि मिट सो ही आचरण सम्यकचारित्र है। ऐसा ही मोक्षमार्ग मानना योग्य है।"
H41-81441001
- पंडित टोडरमल