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________________ जीवनवृत्त ५३ उपर्युक्त सभी तथ्यों की गवेषणा के बाद मेरा निश्चित मत है कि पंडित टोडरमल का जन्म वि० संवत् १७७६-७७ में हुआ और मृत्यु समय उनकी आयु ४७ वर्ष की थी। जन्मस्थान पंडित टोडरमल की जन्मतिथि के समान जन्मस्थान के सम्बन्ध में भी कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता, परन्तु व रायमल ने उन्हें जयपुर के साहूकार का पुत्र बताया है' तथा 'शान्तिनाथ पुराण वनिका प्रशस्ति' में पं० सेवारामजी ने उन्हें जयपुर का वासी लिखा है : "काली रनी होडरमल्ल क्रिपाल ।" अतः यह तो प्रमाणित है कि उनके जीवन का अधिकांश भाग जयपुर में ही बीता । उन्होंने स्वयं लिखा है : देश हूंढारह माहि महान, नगर सवाई जयपुर जान 1 तामे ताकी रहनौ घनो, थोरो रहनो औठे बनो ।। उक्त छन्द में पंडितजी ने कुछ समय के लिए जयपुर के बाहर रहना भी स्वीकार किया है जो उनके सिंघाणा प्रवास की ओर इंगित करता है। अ० रायमल ने उनके सिंघाणा निवास की चर्चा अपनी जीवन पत्रिका में स्पष्ट रूप से की है। जहां तक उनके जन्मस्थान का प्रश्न है, वह तो जयपुर में होना संभव नहीं लगता, क्योंकि उस समय जयपुर बसा ही नहीं था। जयपुर का निर्माण वि० संवत् १७८४. में हुआ है। मृत्यु पंडित टोडरमल की मृत्यु जयपुर में ही हुई। उनके अपूर्ण टीकाग्रन्थ 'पुरुषार्थसियुपाय' की भाषाटीका विक्रम संवत् १७२७ में पूर्ण करनेवाले पंडित दौलतराम कासलीवाल ने उसकी प्रशस्ति में इसका स्पष्ट उल्लेख किया है,3 पर कब और कसे के संबंध में वे ५ जीवन पत्रिका, परिशिष्ट १ २ सं० चं० प्र० 3 "वे तो परभव • गये, जयपुर नगर मझारि।" .
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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