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पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व तक के उल्लेख मिलते हैं। उन्होंने काम-विकार का वर्णन करते हुए रस-ग्रन्थों में बरिणत काम की दश दशाओं का व वैद्यकशास्त्रों में रिंगत उबर के भेदों में काम-ज्वर तक की चर्चा की है। 1 अतः सिद्ध है कि उनका अध्ययन सर्वांगीगा था और हो मकता है कि उन्होंने उक्त ग्रंथ का भी अध्ययन किया हो ।
० रायमल ने गोम्मटसार ग्रन्थ की टीका करने की प्रेरणा देते समय कहा था कि "आयु का भरोसा नाहीं'२ एवं इन्द्रध्वज विधान महोत्सव पत्रिका में लिखा है कि "और पांच-सात ग्रन्थों की टीका वगायवे का उपाय है सो आयु की अधिकता हूत्रां वर्गीगा ।" ये शब्द ४०-४५ वर्ष से कम उम्र वाले व्यक्ति के लिए कहे जाना संभव नहीं हैं।
___ इन्हीं व० रायमल द्वारा विरचित चर्चा-संग्रह की एक प्रति अलीगंज (जिला ऐटा-उ०प्र०) में प्राप्त हुई है। इस हस्तलिखित प्रति के लिपिकार श्री उजागरदास हैं व इसको उन्होंने अलीगंज में ही मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी, रविवार, वि० संवत् १८५४ को पूर्ण की है - ऐसा ग्रन्थ के अन्त में लिखा है। १५,२०० प्रलोकप्रमाण के इस ग्रन्थ के पृष्ठ १७३ पर पंडित टोडरमल की चर्चा करते हुए उनका निधन ४७ वर्ष की प्रायु पूर्ण करने के उपरांत होना लिखा है। उक्त उल्लेख इस प्रकार है :-- ___"बहुरि बारा हजार त्रिलोकसारजी की टीका वा बारा हजार मोक्षमार्ग प्रकाशक ग्रन्थ अनेक शास्त्रों के अनुस्वारि अर प्रात्मांनमासनजी की टीका हजार तीन यां तीना ग्रन्थों की टीका भी टोडरमल्लजी संतालीस बरस की आयु पूर्ण करि परलोक विष गमन की।"
१ मो० मा प्र, ७६ २ जीवन पत्रिका, परिशिष्ट १ । इ० वि० पत्रिका, परिशिष्ट १ ४ घरचा संग्रह अन्य की संख्या करो सुजान ।
एकादश हजार है वै सै ऊपर मान ।।