SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवनवृत्त इस कथन के आधार पर यह कहा जा मानना है कि रायमल विक्रम संवत् १८१२ में उक्त टीका प्रारंभ होने के ३-४ वर्ष पूर्व अर्थात विक्रम संवत् १८०८-९ से पंडित टोडरमलजी से मिलने के लिए अत्यन्त उत्सूक व प्रयत्नशील थे । नात्पर्य यह कि पंडिनजी तब तक बहुचचित विद्वान हो चुके थे। इस तथ्य की पुष्टि उनको प्रथम कृति रहस्यपूर्ण चिट्ठी से भी होती है। यह चिट्ठी बि० मंवत् १८११ में लिखी गई थी। उसकी शैली, प्रौहता एवं उममें प्रतिपादिन गंभीर तत्त्वचितन देखवार प्रतीत होता है कि वे उस समय तक बहुत विद्वान् एवं तात्त्विक-वित्रन्त्रक के रूप में प्रतिष्ठिन हो चुके थे । दुर-दूर के लोग उनसे शंका-समाधान किया करते थे। यातायात-साधनों से विहीन उस युग में सुदूरवर्ती प्रदेशों में उनकी प्रसिद्धि एवं गोम्मटमागदि ग्रन्थों का तलस्पर्शी ज्ञान, उनकी प्रौढ़ता को सिद्ध करता है। वे उस समय ३५-३६ वर्ग मे कम किसी हालत में नहीं रहे होंगे। अजमेर के बड़े घडे के दिगम्बर जैन मंदिर के शास्य-भण्डार में विs मंवत् ११९३ का एक हस्तलिखित 'सामुद्रिक पुमा लक्षगा' नामक ग्रन्थ है। इसमें लिखा है :- यह ग्रन्थ शनिवार भाद्रपद शुक्ला ४ वि० संवत् १७६३ को जोबनेर में 'पंडितोत्तम पंडिनप्रबर पंडितजी श्री टोडरमलजी' के पढ़ने के लिए लिखा गया है । उक्त कथन में पंडित टोडरमल के नाम का सम्मान के साथ उल्लेख है। यदि वह इन्हीं पंडित टोडरमल के बारे में है, तो स्वयंसिद्ध है कि वि. संवत् १७९३ तक वे पंडितोनम व पंडितप्रबर के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। संभावना भी यही है क्योंकि उस समय इतनी प्रसिद्धि प्राप्त कोई अन्य टोडरमल नहीं हा हैं। उक्त स्थिति में पंडित जी का जन्म वि० सं० १७६३ मे कम से कम १७-१८ बर्ष पूर्व का अवश्य मानना होगा। यह वाहना कोई अर्थ नहीं रखता कि 'सामुद्रिक पुरुष लक्षण' ग्रन्थ से इन आध्यात्मिक चि वाले विद्वान् को क्या प्रयोजन ? क्योंकि उनकी रचनाओं में जगह-जगह वैद्यक, ज्योतिष, काव्यशास्त्र आदि के अनेक उल्लेखों के साथ-साथ काम-शास्त्र
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy