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जीवनवृत्त
आचार्यकल्प पंडित टोडरमल के अतिरिक्त इस नाम के धन्य उल्लेख भी मिलते हैं । जैसे एक हैं 'ब्रह्म टोडर' या 'टोडर', जिनका एक भजन 'उठो तेरो मुख देखूं नाभि के नन्दा' राजस्थान के कई जैन शास्त्र-भण्डारों के गुटकों में मिलता है'। एक रामानुज मतानुयायी पंडित टोडरमल भी हुए हैं, जिनकी कुछ पुस्तकें जयपुर राजमहल के पोथीखाने में पाई जाती हैं ।
नाम
इनके नाम का उल्लेख भी कई प्रकार से मिलता है। कहीं 'टोडरमल' और वहीं 'टोडरमल्ल" । कहीं-कहीं 'टोडर' " का भी प्रयोग मिलता है। आदर के साथ आपको लोग 'मल्लजी ६
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राजस्थान के जैन ग्रन्थ भण्डारों की ग्रन्थसूची, चतुर्थ भाग ५८२ ६१४, ६२३, ७६७, ७७६ तथा ७७७
१२ ज्ञानसागर, भक्तविलास, भक्तिप्रिया, पदसंग्रह
3 "नर टोडरमलजी सूं मिले, नाना प्रकार के प्रश्न कोए ।"
- जीवन पत्रिका, परिशिष्ट १ * " नाम धर्मो तिन हर्षित होय, टोडरमल कहें सब कोय ।। "
- स० चं० प्र०
* "निजमति अनुसारि अर्थ गहे टोडर ह भाषा बनवाई यातें अर्थ है सगरे ।"
- गोम्मटसार कर्मकाण्ड भाषाटीका प्रशस्ति ६ " यह टीका खरड़ा की नकल उतरी है । मल्लजी कृत पीठबंध आदि संपूर्ण नहीं भई है । मुल को प्रधं सम्पूर्ण प्राय गयी है, परन्तु सोधि घर मल्ल जी कोकरि उतरावणी है।"
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शि० भा० टी० (६० लि०) बम्बई, अन्तिम पृष्ठ