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________________ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व सजग थे। इन लोगों ने उनके विरुद्ध सशक्त आन्दोलन चलाए । इन सबमें पद्य साहित्य के क्षेत्र में पंडित बनारसीदास का नाम सबसे पहले नाता है तथा गद्य साहित्य में पंडित टोडरमल अग्रणी रहे। इस तरह अालोच्यकाल में राजनीतिक और माहित्यिक परिस्थितियां भी उत्साहवर्द्धक नहीं थीं। राजनीतिक अस्थिरता और साहित्यिक शुगारिकता दोनों ही अध्यात्मप्रधान शान्तरसपूर्ण साहित्य के निर्माण के अनुकूल वातावरण प्रदान नहीं करती हैं। इन दोनों के संकेत पंडितजी के साहित्य में मिल जाते हैं। यद्यपि ये संकेत अप्रत्यक्ष रूप में हैं, जैसे क्रोध के प्रकरण में निरंकुश साम्प्रदायिकता का जिक्र इस प्रकार पाता है :- "तहाँ क्रोध का उदय होते पदार्थनि विर्षे अनिष्टपनौ बा ताका बुरा होना चाहै । कोऊ मंदिरादि अचेतन पदार्थ बुरा लागे तब फोरना तोरना इत्यादि रूपकरि बाका बुरा चाहै । इसी प्रकार 'भगवान रक्षा करता है' इस मान्यता की समीक्षा करते हए लिखते हैं :- "हम तो प्रत्यक्ष म्लेच्छ मुसलमान आदि प्रभक्त पुरुषनिकरि भक्त पुरुष पीड़ित होते देखि व मंदिरादित्रा कौं विघ्न करते देखि पूछे हैं कि इहां सहाय न करे है सो शक्ति ही नाहीं, कि खबर नाही' | बहुरि अवह देखिए है। म्लेच्छ आय भक्तनि कौं उपद्रव कर हैं, धर्म विध्वंस कर हैं, मूर्ति को विघ्न करै हैं, सो परमेश्वर की ऐसे कार्य का ज्ञान न होय तो सर्वज्ञपनों रहै नाहीं ।” इस प्रकार पंडितजी के चारों ओर विरुद्ध और संघर्ष का वातावरण था। उस समय राजनीति में अस्थिरता, संप्रदायों में तनाव, साहित्य में शृगार. धर्मक्षेत्र में भट्टारकवाद, आथिक जीवन में विषमता और समाज में रूढ़िवाद – ये सत्र अपनी चरम सीमा पर थे जो कि प्राध्यात्मिक चिन्तन में चट्टान की तरह अड़े थे। उन सबसे पंडितजी को संघर्ष करना था, उन्होंने डट कर किया और प्राणों की बाजी लगा कर किया। ५ मो० मा प्र०, ५६ २ वही, १५७ ३ वही, २५०
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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