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________________ साहित्यिक परिस्थिति ऊदोजी नैण, महाजी गोदारा, वोल्होजी, कैसोजी, सुरजनदासजी पूनिया, परमानन्ददासजी, (बिष्णोई सम्प्रदाय'); बखनाजी, रज्जबजी, बाजिन्दजी, सुन्दरदासजी५, (दादू मंथी'); तुरसीदास, सेवादास, मनोहरदास, भगवानदास, (निरंजनी सम्प्रदाय"); तथा सहजोबाई', दयावाई, (चरणदासी संप्रदाय') आदि । जैन साहित्य में मानव हितविधायनी अध्यात्मपरक अनेक बहुमूल्य चर्चाएँ हैं। इन साहित्यकारों ने साहित्य-साधना के माध्यम से धन प्राप्ति का यत्न कभी नहीं किया और न ही उन्हें लोकेषणा आकर्षित कर सकी। ये लोग राजदरबारों और धनिकों की गोष्ठियों से दूर ही रहे, इनकी अपनी अलग आध्यात्मिक गोष्ठियाँ थीं, जिन्हें 'सैली' कहा जाता था। इन सैलियों के सदस्यों द्वारा उस युग में महत्त्वपूर्ण विपुल साहित्य का निर्माण हुआ पर वह् साहित्य शांतरस प्रधान आध्यात्मिक साहित्य है । इसका तात्पर्य यह नहीं कि ये लोग सामाजिक समस्याओं के प्रति उदासीन थे। वे तत्कालीन समाज और उसमें आगत बिकृतियों से पूर्ण परिचित एवं उनके प्रति 1 जाम्भोजी विष्णोई सम्प्रदाय और साहित्य जम्भवाणी के पाठ-सम्पादन सहित] भाग १-२ ५१२-५२२, ५५८-५७८, ६१६-६३५, ६३६-६८६, ७०१-८२५, तथा ५७-८ बखनाजी की वाणी । रज्जब बानी ४ पंचामृत में संग्रहीत, वाजिन्द की वाणी ५ सुन्दर प्रन्यावली भाग १, २ ६ श्री दादू महाविद्यालय रजत-जयन्ती ग्रंथ ७ (क) मकरन्द, १६३-१७६ (ख) योग प्रवाह में एतद् विषयक निबन्ध (ग) श्री महाराज हरिदासजी की वाणी; (घ) निरंजनी सम्प्रदाय और संत तुरसीदास निर्रजनी ८ सहजीबाई को वानी । दयाबाई की बानी १० (क) अलवर क्षेत्र का हिन्दी साहित्य (अप्रकाशित) (वि० सं० १७०० से २०००), १३-१८ तथा १६-१८६ (ख) भक्ति सागर
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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