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________________ राजनीतिक परिस्थिति ऐतिहासिक दृष्टि से यह काल औरंगजेब का शासनकाल था, जिसमें मुगल सत्ता उतार पर थी। राजस्थान के शासक भी निष्क्रिय थे । यही कारण है कि मुगल साम्राज्य के उस विघटनकाल में भी ये अपनी शक्तियों को संचित और एकत्र करके हिन्दु प्रभुत्व स्थापित न कर पाए । फिर भी तत्कालीन जयपुर नरेश सवाई जयसिंह (शासनकाल–१६६६-१७४३ ई०१२ने स्थिति का लाभ उठाया ! जहोंने मारवाड़ और मेवाड़ के राजाओं के सहयोग से न केवल मुगल सत्ता से आत्मरक्षा की प्रत्युत उनके विघटन का लाभ भी उठाया। इन लोगों ने दिल्ली के शासन के संकट के प्रति अपनी आँख बन्द कर ली। वहाँ होने वाले संघर्षों, षड्यन्त्रों और राजनीतिक हत्याओं से जैसे इनका सरोकार ही नहीं था । एक अोर नादिरशाह दुर्रानी और अहमदशाह अब्दाली जैसे क्रूर आक्रांता लुटेरे दिल्ली को लूटते रहे, तो दूसरी ओर मरहठों और जाटों आदि ने भी कम लुट-पाट नहीं की। उक्त राजात्रयी इस राजनीतिक हलचल और खूनी लुट-खसोट में सम्पूर्ण रूप से तटस्थ-द्रष्टा थी। वे अपने राज्यों की शक्ति, समृद्धि और व्यवस्था के पुख्ता बनाने में लगे रहे। सवाई जयसिंह पर यह बात पूर्णतः लागू होती है । उन्होंने अपने राज्य के चौमुखी बिकास के लिए बहुत कुछ किया। बर्तमान जयपुर का निर्माण उनकी ही देन है 1 अपने परम्परागत राज्य को आदर्श जन-कल्याणकारी और प्रगतिशील बनाने की दिशा में वे अपने समकालीन देशी-विदेशी शासकों की तुलना में बहुत आगे थे। धर्म-सहिष्णुता और विद्वानों के सम्मान करने में कोई उनकी होड़ नहीं कर सकता था। प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड ने लिखा है :- इस राजा को जैनधर्म के १ रीतिकाव्य की भूमिका, ७ २ राजस्थान का इतिहास, ६३७ 3 भा० इ० एक दृष्टि, ५६२-५६३
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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