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________________ पूर्व-धार्मिक व सामाजिक विचारधाराएँ और परिस्थितियां न छोड़ें तो समर्थ प्रास्तिक इनके मुंह पर विष्ठा से लिपटे हुए जूते मारें, इसमें जरा भी पाप नहीं है' ।" स्वयंलिखित 'प्रवचनसार भाषा' के अन्त में जोधराज गोदीका तेरहपंथ की व्याख्या करते हए लिखते हैं :-- सब लोग, सती, क्षेत्रपाल आदि बारहपंथों में भटक रहे हैं परन्तु जोध कवि कहता है कि हे जिनदेव ! उक्त बारहपंथों से अलग अापके द्वारा बताया गया पंथ (मार्ग) ही 'तेरापंथ' है । उक्त कथनों के आधार पर यह तो स्पष्ट है कि जयपुर निर्माण के पूर्व जयपुर के समीप सांगानेर में तेरहपंथ का प्रचार पं० टोडरमल के पूर्व अमरचंद भीसा (गोदीका) या उनके पुत्र जोधराज गोदीका द्वारा हो चुका था। वखतराम साह उक्त घटना का सम्बन्ध अमरचंद गोदीका (अमरा भौंसा ) से जोड़ते हैं, तो चन्द्रकवि अमरचंदजी के पुत्र कविवर जोधराज गोदीका से । हो सकता है कि जब उक्त घटना घटित हई तब अमरचंद गोदीका और उनके पुत्र जोधराज गोदीका दोनों ही विद्यमान हों और दोनों से ही उक्त अप्रिय प्रसंग सम्बन्धित रहा हो । किसी ने पिता होने से अमरचंद गोदीका का उल्लेख कर दिया एवं किसी ने अधिक बुद्धिमान, विद्वान् एवं कवि होने से तथा धार्मिक कार्यों में विशेष सक्रिय होने से जोधराज के नाम का उल्लेख किया । । यदि जिनसूत्रमुल्लंघते तदाऽऽस्तिकर्युक्तिवचनेन निषेधनीयाः । तथापि यदि दादाग्रहं न मुञ्चन्ति तदा रामधुरास्तिकरूपानद्भिः गूथलिप्ताभिर्मुरदः ताडनीयाः तत्र पापं नास्ति । - पटप्राभृत टीका, ३ २ कोई देवी खेतपाल वीजासनि' मानत है, ___कोई राती पित्र सीतला सौ कहै मेरा है । कोई कहै सांवली, कबीर पद कोई गाय, केई दादूपंथी होई परे मोह घेरा है ।। कोई ख्वाजं पीर माने, कोई पंधी नानक के, ई कहै महाबाहु महारुद्र चेरा है । याही बारा पंथ में भरमि रह्यो सबै लोक, कहै जोध प्रहो जिन तेरापंथ तेरा है ।।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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