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________________ पूर्व-धार्मिक व सामाजिक विचारधाराएं और परिस्थितियां बारह चौदह प्रागमों को वे इस कारण स्वीकार नहीं करते क्योंकि उनमें मूर्ति पूजा का विधान पाया जाता है।' इसी सम्प्रदाय में से १८ वीं शती के प्रारम्भ में प्राचार्य भिक्ष द्वारा तेरहपंथ की स्थापना हुई। वर्तमान में इस सम्प्रदाय के नवम प्राचार्य तुलसीगणी हैं, जिन्होंने अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया है। दिगम्बर सम्प्रदाय में भी सोलहवीं शती में तारण स्वामी ने एक ऐसे ही पंथ की स्थापना की, जो तारण पंथ कहलाता है। इस पंथ के अनुयायी विशेष रूप से मध्यप्रदेश में पाये जाते हैं। तारण स्वामी का जन्म विक्रम संवत १५०५ के अगहन मास की शुक्ला सप्तमी के दिन किसी पुष्पावती नगरी में हुआ था और इनकी जाति परवार थी। इनके पिता गाढ़ामुरी वासल्ल गोत्र के गढ़ाशाह थे । इनकी माता का नाम विमलश्री देवी' था। ये प्राजन्म ब्रह्मचारी रहे और इनकी वृत्ति अपनी बाल्यावस्था से ही बराबर वैराग्यपरक रही। ये एक प्रतिभाशाली एवं संयमशील पुरुष थे । इनका प्रारम्भिक जीवन सेमरखेड़ी के निर्जन में बीता था तथा वेतवा नदी के तटवर्ती मुंगावली (मध्यप्रदेश) के निकट ग्राम निसई (मल्हारगढ़) में निवास करते हुए इन्होंने चौदह ग्रंथ लिखे। तारण स्वामी के ग्रंथों के देखने से पता चला है कि उनमें मूर्ति पूजा के विरोध और समर्थन में कहीं भी कुछ भी नहीं लिखा गया है। उनके सभी ग्रंथ विशुद्ध आध्यात्मिक, सैद्धान्तिक एवं आचार सम्बन्धी ग्रन्थ हैं किन्तु उनके अनुयायियों द्वारा निर्मित चैत्यालयों में मूर्तियाँ नहीं हैं। अन्य मंदिरों के समान वेदियाँ तो हैं पर उनमें मतियों के स्थान पर शास्त्र बिराजमान रहते हैं। पता नहीं उक्त सम्प्रदाय में मूर्ति पूजा विरोध कब से और कहां से पाया? यह एक शोध का विषय है। तारण स्वामी पर साहित्यिक और सामाजिक दृष्टि से भी शोध आवश्यक है। उन पर किया गया शोध कार्य हिन्दी साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण योगदान होगा। -- - - . १ भा० सं० ज० यो०, ४५ २ तारण पंथ के वर्तमान प्रसिद्ध विद्वान पं० जयकुमार शास्त्री छिदवाड़ा से सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया कि तारण स्वामी की मां का नाम वीरश्री था। 3 यह गांव म. प्र. के सिरोंज नामक नगर से पांच मोल दूर है।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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