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________________ इन्द्रध्वज विधान महोत्सव पत्रिका ३४३ सिद्धांतां का आगमन हूवा नाही । रुपया हजार दोय २०००) पांच सात प्रादम्यां के जाबै पाबै खरचि पड्या। एक साधर्मी डालूराम की उहाँ ही पर्याय पूरी हुई। वां सिद्धांतों के रक्षिक देव डालुराम के स्वप्न पाए थे । तानं ऐसा कहा हे भाई तू यां सिद्धांतां में लेने कू पाया है सो ए सिद्धांत वा देश विर्षे नाहीं पधारेंगे । उहां म्लेच्छ पुरषां का राज है। तातै जाने का नाही । वहरि या बात के उपाय करने मैं बरस च्यारि पांच लागा। पांच विश्वा पौरू भी उपाय वर्ते है। औरंगाबाद सूं सौ कोस पर एक मलयखेड़ा है। तहां भी तीनूं सिद्धांत बिराजै है । सो नौरंगाबाद विर्ष बड़े-बड़े लखेस्वरी, विशेष पृन्यवान, जाकी जिहाज चाल, पर जाका नवाब सहायक, ऐसा नेमीदास, अविचल राय, अमृतराय, अमीचन्द, मजलसिराय, हुकमचन्द, कौलापति ग्रादि सौ पचास परिणीपथ्या अग्रवाले जैनी साधर्मी उहां है। ताक मलयखेड़ा सूं सिद्धान्त मंगायबे का उपाय है । सो देखिए ए कार्य बगर्ने विषै कठिनता विशेष है, ताकी वार्ता जानूंगे । और हम मेवाड़ विर्ष गए थे । सो उहां चीतोड़गढ़ है । ताकै तले तलहटी नग्र बसे है। सो उहां तलहटी विथै हवेली निर्माचरण के अधि भौमि खरगतै एक भैहरा निकास्या । ता विष सोला बिच फटिकमरिण सादृश्य महा-मनोज्ञ उपमां-रहित पद्म पासण विराजमान पंद्रा सोला बरस का पुरूष के प्राकार सादृश्य परिमाण ने लीयां जिनबिंब नीसरे । ता विष एक महाराजि बावन के साल का प्रतिष्ठया हया मोहरा का अतिसय सहित नीसरे । और घणां जिनबिंब वा उपकरण धातु के मीसरे ता विष सूवर्ण पीतल सादृश्य दीस ते नीसरे। सो धातु का महाराजि तौ गढ़ उपरि भैहरा विर्षे विराजे है । उपरि किल्लादार वा जोगी रहे है। ताकै हाथि ता भैहरा की कंत्री है। और पाषाण के बिंब तलहटी के मन्दिर विषै बिराजै है ! घर सौ उहां महाजन लोगां का है । ता विषे प्राधे जनी है। प्राधे महेश्वरी हैं। सो उहां की यात्रा हम करि पाए। ताके दरसण का लाभ की महिमा वचन अगोचर है । सो भी वार्ता थे जानेंगे । . . . .
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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