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________________ इन्द्रध्वज विधान महोत्सव पत्रिका ३४१ क्षपणासार अन्य की हजार तेरा १३०००, त्रिलोकसार ग्रन्थ की हजार चौदह १४००७. मोशा कारक ग्रंथ की इजार बीस , बड़ा पद्मपुराण ग्रन्थ की हजार बीस २०००० टीका बरणी है ताका दर्शन होयगा और इहां बड़े-बड़े संयमी पंडित पाईए है ताका मिलाप होइगा। और दोय च्यारि भाई धवल महाधवल जयधवल लेने कूँ दक्षिण देश विष जैनबद्री नगर वा समुद्र ताई गए थे। वहां जैनबद्री विष धवलादि सिद्धान्त ताड़पत्रां विष लिख्या कर्णाटी लिपि में विराज हैं ताकी एक लाख सत्तर हजार मूल गाथा है। ता विष सरि हजार धवल की, साठि हजार जयधवल की, चालीस हजार महाधवल की है । ताका कोई अधिकार के अनुसारि गोमटसार लब्धिसार क्षपणासार बगे हैं। पर उहां के राजा वा रैति' सर्व जैनी है अर मुनि धर्म का उहाँ भी अभाव है। थोरे से बरस पहली यथार्थ लिंग के धारक मुनि थे, अ काल के दोष करि नाही। अगल-बगल क्षेत्र घरगां ही है, तहां होयगा । और उहां कोड्यां' रूपयां के काम के सिंगीबंध मौंधा मोल के पथरनि के बा ऊपरि सर्वत्र तांबा के पत्रा जड़े ताकै तीन कोट ताका पाव कोस का व्यास है, ऐसे सोला चड़ा-बड़ा जिन मन्दिर बिराज हैं। ता विष मुंग्या लसण्यां आदि रतन के छोटे जिन बिब घरमा बिराज है और उहाँ अष्टाह्निकां का दिनां विष रथयात्रा का बड़ा उछव होइ है। और उहां एक अठारा धनुष ऊंचा, एक नो धनुष ऊंचा, एक तीन धनुष ऊंचा कायोत्सर्ग जुदा जूदा तीन देशां विष तीन जिन विव तिष्ट है। ताकी यात्रा जुरै है। ताका निराभरण पूजन होय है। ताका नाम गोमट स्वामी है । जैसा गोमट्ट स्वामी प्रादि घणां तीर्थ है । वा उहां सीतकाल विर्ष भीम रिति' की सी उष्णता पाई है। उहाँ मुख्यापन चांवलों का भखन विशेष है। उहां की भाषा विष इहां के समझे नाहीं । इहां की भाषा विर्ष उहां के समझे नाही । 'प्रजा, २ करोड़ों, ३ शिखरबंध, ५ महगे, ५ ऋतु, । भोजन
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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