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________________ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व सो जिनबोगी के प्रसाद ने वा नीलापति आदि साधर्मी के निमत्त तें सम्परज्ञान-दिवस विष जा . सादा बाद 2 सिम सादृश्य, अपना जाम्यां और सब चरित्र पुद्गल द्रव्य का जान्यां। रागादिक भावां की निज स्वरूप सं भिन्नता वा अभिन्नता नीकां जानी। सो हम विशेष तत्वज्ञान का जांनपनों सहित आत्मा हवा प्रवर्तं । विराग परिणांमां के बल करि तीन प्रकार के सौगद - सर्व हरित काय, रात्रि का पाणी, विवाह करने का प्रायुपर्यंत त्याग कीया। असे होत संते सात वर्ष पयंत उहाँ ही रहे ।। पीछे रांगां का उदेपुर विष दौलतराम तेरापंथी, जैपुर के जयस्यंघ राजा के उकील 'तासं धर्म अथि मिले । वाकै संस्कृत का ज्ञान नीको, बाल अवस्था संले ब्रद्ध अवस्था पर्यंत सदैव सौ पचास शास्त्र का अवलोकन कीया और उहां दौलतराम के निमत्त करि दस बीस साधर्मी वा दस बीस पायर्या सहित सैली का वरणाव बरिण रह्या । ताका अवलोकन करि साहिपुरै पाछा पाए । पीछे केताइक दिन रहि टोडरमल्ल जैपुर के साहूकार का पुत्र ताकै विशेष ज्ञान जानि वामं मिलने के अथि जैपुर नगरि पाए । सो इहां वाकू नहीं पाया अर एक बंसीधर किंचित संजम का धारक विशेष व्याकरणादि जैन मत के शास्त्रों का पाठी, सौ पचास लड़का पुरुष वाया जा नखें२ व्याकरण छेद अलंकार काव्य चरचा पढ़े, ता सूं मिले। पीछे वानै छोडि प्रागरै गए। उहां स्याहगंज विष भूधरमल्ल साहूकार व्याकरण का पाठी घणा जैन के शास्त्रों का पारगामी तासूं मिले और सहर विर्ष एक धर्मपाल सेठ जनी अग्रवाला व्याकरण का पाठी मोती काटला के चैताल शास्त्र का व्याख्यान कर, स्याहगंज के चैताले भूधरमल्ल शास्त्र का व्याख्यान करै, और सौ दोय से साधर्मी भाई ता सहित वासू मिलि फेरि जैपुर पाछा आए । पीछे सेखावाटी विष सिंघांणां नग्र तहां टोडरमल्लजी एक दिली का बड़ा साहकार साधर्मी ताके समीप कर्म कार्य के अथि . वकील, २ जिसके पास
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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