SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६० पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्त्तृत्व (४) जैन शासन के अथि ऐसी सम्प्रदान जानिए । - ( ५ ) भव्यनि के अथि किया ऐसे सम्प्रदान है । को - ताके दिखावने को प्रतिबिंन समान है । कों- जे कर्म बांधे थे, ते तो भोगे बिना छूटते नाहीं तातें मोकों सहने आए । ताई - किसी विशेष ज्ञानी से पूछ कर तिहारे ताई उत्तर दूंगा । अपादान : अपादान कारक में 'तैं, करि' का प्रयोग प्राप्त होता है :तें - ( १ ) क्षुधा तृषा आदि समस्त दोषनि तैं मुक्त होय देवाधिदेवपना' को प्राप्त भये । सम्बन्ध (२) ग्रंथही ते भयो ग्रंथ यहु अपादान | ( ३ ) ग्रान काज छूटने तें भयो यहु काज, सोई अपादान नाम ऐसे जानत सुजान है । करि - सर्व रागद्वेषादि विकार भावनि करि रहित होय शांतरस रूप परिए हैं । सम्बन्ध का ज्ञान कराने के लिए 'का, की, के, कै, को, कौं, कौ, का प्रयोग पाया जाता है : का - ( १ ) जिनके प्रतिपक्षी कर्मनि का नाश भया । (२) स्त्री का आकाररूप काष्ठ, पाषाण की मूर्ति देखि, तहाँ विकाररूप होय अनुराग करें। की - ( १ ) तिन सबनि की ऐसी अवस्था हो है । (२) काष्ठ, पाषाण की मूर्ति देखि, तहाँ विकाररूप होय अनुराग करें । ( ३ ) ता की सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषामय टीका सुखकार । ( ४ ) लब्धिसार की टीका करी, भाषामय अर्थनि सों भरी ।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy