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पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्त्तृत्व
(४) जैन शासन के अथि ऐसी सम्प्रदान जानिए । - ( ५ ) भव्यनि के अथि किया ऐसे सम्प्रदान है ।
को - ताके दिखावने को प्रतिबिंन समान है ।
कों- जे कर्म बांधे थे, ते तो भोगे बिना छूटते नाहीं तातें मोकों सहने आए ।
ताई - किसी विशेष ज्ञानी से पूछ कर तिहारे ताई उत्तर दूंगा ।
अपादान
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अपादान कारक में 'तैं, करि' का प्रयोग प्राप्त होता है :तें - ( १ ) क्षुधा तृषा आदि समस्त दोषनि तैं मुक्त होय देवाधिदेवपना' को प्राप्त भये ।
सम्बन्ध
(२) ग्रंथही ते भयो ग्रंथ यहु अपादान |
( ३ ) ग्रान काज छूटने तें भयो यहु काज,
सोई अपादान नाम ऐसे जानत सुजान है ।
करि - सर्व रागद्वेषादि विकार भावनि करि रहित होय शांतरस रूप परिए हैं ।
सम्बन्ध का ज्ञान कराने के लिए 'का, की, के, कै, को, कौं, कौ, का प्रयोग पाया जाता है :
का - ( १ ) जिनके प्रतिपक्षी कर्मनि का नाश भया ।
(२) स्त्री का आकाररूप काष्ठ, पाषाण की मूर्ति देखि, तहाँ विकाररूप होय अनुराग करें।
की - ( १ ) तिन सबनि की ऐसी अवस्था हो है ।
(२) काष्ठ, पाषाण की मूर्ति देखि, तहाँ विकाररूप होय अनुराग करें ।
( ३ ) ता की सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषामय टीका सुखकार । ( ४ ) लब्धिसार की टीका करी, भाषामय अर्थनि सों भरी ।