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शुद्धिपत्र
[नोट : कृपया पुस्तक पढ़ने से पूर्व निम्नलिखित अशुद्धियां अवश्य ठीक कर लें।
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पंक्ति
अशुद्ध कुमुन्द कुमुध कीया पीछे कीया । पीछे
रहो
तिही
७४
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और न ही खंद्य
खंध खंद खंध उनका उनकी समवसरन समवसरण यह ईष सम्यक्त्वदिक सम्यक्त्वादिक जुयधा जुरया परिणामवाचक परिमारणवाचक
कह
.
द्वेष
२७५
२८
३०३