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भाषा
(४) गुणवाचक :
ऐसा ऐसा वक्ता होय ।
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ऐसी-ऐसी अंतरंग अवस्था होते बाह्य दिगम्बर सौम्य मुद्राधारी भए हैं ।
ऐसे - ऐसे जैन मुनि हैं, तिन सबनि की ऐसी ही अवस्था हो है'
ऐसे-ऐसें सर्व प्रकार पूजने योग्य श्री अरहंतदेव हैं । सौ - सत्य अर्थ सभा माहिं सौ जिन महिमा अनुसर है । जैसी - होऊ मेरी ग्रेसी दशा जैसी तुम धारी है । जैसे - अपने योग्य बाह्य क्रिया असे बने तैसे बने है । जैसी - जाकी जैसी इष्ट सो सुने है ।
तसे अवशेष जैसे हैं तैसे प्रमारग । वैसा - वैसा विपरीत कार्य कैसे बनं । जैसा, तैसा - जैसा जीव तैसा उपदेश देना ।
( ५ ) प्रश्नवाचक :
कौन - (१) दण्ड न दिया कौन कारण ? (२) ऐसे कार्य को कौन न करेगा ?
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कहा- मेरा कहा स्वरूप है ?
क्यों - टीका करने का प्रारंभ क्यों न कीया ?
कैसा - बहुरि बक्ता कैसा चाहिए ?
कैसी -- जीव की कैसी अवस्था होय रही है ?
कैसे कैसे सौ विचारिए ।
कैसे यह चरित्र कैसे बनि रह्या है ?
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