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________________ भाषा (४) गुणवाचक : ऐसा ऐसा वक्ता होय । - ऐसी-ऐसी अंतरंग अवस्था होते बाह्य दिगम्बर सौम्य मुद्राधारी भए हैं । ऐसे - ऐसे जैन मुनि हैं, तिन सबनि की ऐसी ही अवस्था हो है' ऐसे-ऐसें सर्व प्रकार पूजने योग्य श्री अरहंतदेव हैं । सौ - सत्य अर्थ सभा माहिं सौ जिन महिमा अनुसर है । जैसी - होऊ मेरी ग्रेसी दशा जैसी तुम धारी है । जैसे - अपने योग्य बाह्य क्रिया असे बने तैसे बने है । जैसी - जाकी जैसी इष्ट सो सुने है । तसे अवशेष जैसे हैं तैसे प्रमारग । वैसा - वैसा विपरीत कार्य कैसे बनं । जैसा, तैसा - जैसा जीव तैसा उपदेश देना । ( ५ ) प्रश्नवाचक : कौन - (१) दण्ड न दिया कौन कारण ? (२) ऐसे कार्य को कौन न करेगा ? २७७ कहा- मेरा कहा स्वरूप है ? क्यों - टीका करने का प्रारंभ क्यों न कीया ? कैसा - बहुरि बक्ता कैसा चाहिए ? कैसी -- जीव की कैसी अवस्था होय रही है ? कैसे कैसे सौ विचारिए । कैसे यह चरित्र कैसे बनि रह्या है ? -
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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