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कौन
वह (संकेतवा
(प्र. दा.)। {प्र० वा०)
..
डॉ. उदयनारायण तिवारी ने ब्रजभाषा में प्रयोग आने वाले सर्वनामों का विवरण इस प्रकार दिया है। :वह (पु० वा.)।
. क्या वह (संकेत वा यह एकवचन
| मैं, हौं, हो | तु, ते, तें | दो, बहू, वुह । यह, यिह | जौ, जॉन | सो, तीन | को, को, नको कहा, बा तिर्यक मो, मुज, | तो, तुज | विस, वा, वाहि | इस, या, जिस, जा, | तिस, ता, ताहि किस, का, काहे मोहि, मुहि | तोहि, तुहि
याहि । जाहि ।
' | काहि कर्म-सम्प्रदान मोहि, मुहि | तोहि तुहि, वाहि, वाए, याहि, याए, जाहि, जार, ताहि, ताए, | काहि, काए,
मोए, मोय, तोए, तोय, वाय, विसे याय, इसे ! जाय, जिसे ताय, तिसे काय, किस्से मोइ, मो | तोइ, तो मेरौ, मेर्यो| तेरी, तेर्यो
___ .... | जासु तामु
ये, यै
सो, ते
हम तुम बे, वै
को, को । तिर्यक | हम, हौ, | तुम, तुम्हीं | उनि, उन, उन्हीं पनि, इन, | जिनि, जिन. तिनि, तिन, किनि, किन
हमनि, हमन | विनि, विन,बिन्हीं| इन्हौं । जिन्हीं, | तिन्हीं किन्हीं कम-राम्प्रदान हमैं तुम्हें उन्हें, विन्हें | इन्हें, इहैं | जिन्हें तिन्हैं किन्हें सम्बन्ध हमारौ | तुम्हारी हमार्यो । तुम्हार्यो
तिहारी
तिहार्यो नोट :-उपर्यत (प्रमुख रूप से उत्तम तथा मध्यम पुरुष) बहुवचन के रूपों का प्रयोग प्रायः एकवचन में भी होता है । इसी प्रकार ।
इधर 'व' के स्थान पर 'घ' तथा 'य' के स्थान पर 'ज' का प्रयोग भी चलता है। ' हि भा० उ० वि०, ३४५
पंडित दोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व