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________________ भाषा २६६ किंकर, स्कंध, पुस्तक, चोर, पुण्य, पाप, ग्राम, उदधि, जमक। तद्भव – मनुध्यमानुप, मृत्तिका माटी, स्वर्ण - सोना, रौप्य रूपा, स्कंध खंध, स्थान >थान, हृदय >हिया, गृगस्थान गुरणथान, वानर>बाँदर, मुक्ता मोती, यांत यती, रूपकम् रुपैया, क्षेत्रघरखितहर, काक कागला, गोगऊ, हट्ट हाटि, पण्डित पाण्डे, कच्छप काछिवा, श्वसुरालय ससुराल । देशी - घूभू, मण, हाँडी, सांठा, गाड़ा, जेवरी, पाँ, पतासा, ठाकुर (भगवान), ठकुरानी, रोड़ी, सूवा, गली । उर्दु - मदिरा, जामा, गुमास्ता, चसमा, दुरवीन, खुदा, पैग़म्बर, कलाल, हिलवी (अरवी) । (३) भाववाचक :तत्सम-ज्ञान, दर्शन, चारित्र, सम्यक्त्व, प्रीति, कार्य, सत्य, व्रत, भ्रम, यश, भाग्य, अध्यात्म, कषाय, क्रोध, राग, द्वेष, मोह, उपयोग, वार्ता, स्तुति, ऋण, अनुभव, सुख, दुःख,आकुलता, अवगुण, उदासीनता, जन्मत्तता, पांडित्य, स्वामित्व, मनोरथ, चेतना, कलंक, मिलाप । तद्भव - मर्म मरम, बार्ताबात, सत्य सांचा, सम्यक्त>समकित, निर्धारण>निरवान, योग जोग, बन्धन बन्धान, यश जस, कार्यकारज, गुणगुन, धृष्ठ>ढीठ । देशी - पाखड़ी, सीर, पावना, जानपना, झापटा । उर्दू - खरीद, एवज, जुदाई। इनके अतिरिक्त भाववाचक संज्ञाएँ 'पना, पनों, पने, ता, त्व, त्य, आई लगा कर बना ली गई हैं । कहीं-कहीं दो-दो प्रत्यय एक साथ लगा दिये गए हैं । प्रत्येक के कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं :
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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