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________________ गद्य शैली पंडित टोडरमल की प्रतिपादन शैली दृष्टान्तमयी प्रश्नोत्तर शंती है । जैसाकि कहा जा चुका है कि उनका लेखन कार्य प्राचीन आगमग्रंथों की टीका से आरंभ हा लेकिन उसी में से उनके चिन्तक का विकास हुमा । परम्परागत विषय होत हए भी उन्होंने अपनी लेखन शैली का स्वयं निर्माण किया और अपने अनुभवपूर्ण चिन्तन को ऐसी शैली में रखने का संकल्प किया जो सरल, दृष्टान्तमयी और लोक सुगम हो । 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' नाम में उनकी शैली की झलक मिल जाती है। जहाँ तक प्रतिपाद्य विपय का सम्बन्ध है, इसे हम मोक्षशास्त्र कह सकते हैं अर्थात् संसार से मुक्ति का शास्त्र । लेकिन उन्होंने इसे मोक्षशास्त्र न कह कर 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' कहा 1 जैन तत्त्वज्ञान की दृष्टि से मोक्षमार्ग पर प्रकाश डालनेवाले कई ग्रंथ हैं, परन्तु इसे 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' कहने में लेखक का अभिप्राय यह बताना है कि उसके विचार से सही मोक्षमार्ग क्या है ? खासकर उन परिस्थितियों के सन्दर्भ में जिनमें उसे इसे प्रकाशित करना है । लेखक अपनी सीमा, अपने पाठक समाज की बौद्धिक क्षमता और विषय की निस्सीमता से परिचित है। इसलिए वह ऐसी शैली को चुनता है जो एकदम शास्त्रीय न हो, जो आध्यात्मिक सिद्धियों और चमत्कारों से मुक्त हो, वह ऐसी पीली हो जिसमें एक सामान्य जन दूसरे सामान्य जन से बात करता है, उसी प्रात्मीय शैली को वे स्वीकार करते हैं। वक्ता के जो गुगा पीर धर्म बताये गए हैं, वे प्रकारान्तर से मोक्षमार्ग प्रकाशक में स्वीकृत लेखन शैली के गुग्ग धर्म हैं । अतः यह कहा जा सकता है कि वे जिस शैली को प्रादर्श मानते हैं, वह उनकी स्वयं की निर्मित शैली है । यदि शैली मनुष्य के चरित्र की अभिव्यक्ति का प्रतीक हो तो हम इस शैली से पंडित टोडरमल के चिंतक का चरित्र और स्वभाव अच्छी तरह परख
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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