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पूर्व परिस्थितियों, जीवन, साहित्य, दर्शन, भाषा और शैली के सम्बन्ध में मैंने अपने अध्ययन के आधार पर कई नए तथ्य प्रस्तुत किए हैं
और पुरानी धारणामों का विनम्न निरसन भी किया है। अपने कथनों की प्रामाणिकता के लिए कतिपय महत्त्वपूर्ण हस्तलिखित प्रतियों के चित्र तथा आवश्यक महत्व के उल्लेख यथास्थान दिए हैं । पूर्वअध्येतानों के प्रांत र हपथ में पूरस-पूरा सम्मान है एवं मेरे निष्कर्षों के संबंध में आगामी अनुकुल-प्रतिकूल शोधों के प्रति पवित्र जिज्ञासा भी है।
इस सन्दर्भ में जिन-जिन ग्रंथों और ग्रन्थकारों से ज्ञान लाभ लिया एवं उनका उपयोग किया , उनका उल्लेख यथास्थान किया गया है। बहुत से ग्रंथ ऐसे भी हैं जिनका इस सन्दर्भ में अध्ययन तो किया पर प्रस्तुत कृति में उपयोग नहीं हुआ, अतः उनका उल्लेख संभव नहीं था । उन सब के प्रति मैं कृतज्ञ हैं।
प्रस्तुत शोधाध्ययन सात अध्यायों में विभक्त है :
प्रथम अध्याय में पंडित टोडरमलजी के पूर्व व समकालीन धार्मिक और सामाजिक परिस्थितियों तथा विचारधाराओं पर विचार किया गया है। साथ ही समकालीन राजनीतिक एवं साहित्यिक परिस्थितियों की भी चर्चा है ।
द्वितीय अध्याय पंडितजी के जीवन और व्यक्तित्व से संबंधित है - इसके अन्तर्गत उनके नाम, निवास, जन्म, मृत्यु, परिवार, गुरु, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यक्षेत्र, प्रचारकार्य, सम्पर्क-सहचर्य, प्रतिभा, प्रभाव, प्रामाणिकता और स्वभाव पर प्रामाणिक प्रकाश डाला गया है ।
तृतीय अध्याय में उनकी रचनाओं का वर्गीकरण एवं परिचयात्मक अनुशीलन प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक रचना का नाम, परिमाण, रचनाकाल, रचनास्थान, प्रेरणा, उद्देश्य, वर्ण्य-विषय और रचनाशैली का प्रामाणिक परिशीलन प्रस्तुत कर अन्त में उनके पद्य साहित्य का परिचय एवं उसकी विशेषताओं पर विचार किया गया है।
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