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________________ २२८ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कसूरव चर्चा की है – विषय, कषाय, गौर पाप का उदय । इनका विश्लेषण वे इस प्रकार करते हैं :-- "दुःख का लक्षण प्राकुलता है सो ग्राकुलता इच्छा होते ही है । सोई संसारी जीव कै इच्छा अनेक प्रकार पाइये है। एक तो इच्छा विषयग्रहण की है सो देख्या जाना चाहै । जैसे वर्ण देखने की, राग सुननेकी, अव्यक्तको जानने इत्यादि की इच्छा हो है । सो तहाँ अन्य कि पीड़ा नाहीं परन्तु यावत् देखे जाने नाहीं तावत् महान्याकुल' होइ। इस इच्छा का नाम विषय है। बहुरि एक इच्छा कषाय भावनिके अनुसारि कार्य करने की है तो कार्य किया चाहै। जैसे बुरा करने की, हीन करने की इत्यादि इच्छा हो है । सो इहाँ भी अन्य कोई पीड़ा नाहीं । परन्तु यावत् वह कार्य न होइ तावत् महाळ्याकुल होय । इस इच्छा का नाम कषाय है। बहरि एक इच्छा पापके उदयतें शरीरविषं या बाह्य अनिष्ट कारण मिलें तब उनके दूरि करने की हो है । जैसे रोग पीड़ा क्षुधा आदि का संयोग भए उनके दूर करने की इच्छा हो है सो इहाँ यहु ही पीड़ा मान है । यावत् वह दूरि न होइ तावत् महाव्याकुल रहै । इस इच्छा का नाम पाप का उदय है । ऐसें इन तीन प्रकार की इच्छा होते सर्व ही दुःख मान हैं सो दुःख ___ इन तीन इच्छात्रों के अतिरिक्त उन्होंने एक चौथी इच्छा और मानी है और उसका नाम दिया है पुण्य का उदय । इसकी व्याख्या उन्होंने इस प्रकार दी है : "बहुरि एक इच्छा बाह्य निमितत्तै बनं है सौ इन तीन प्रकार इच्छानि के अनुसारि प्रवर्तने की इच्छा हो है । सो तीन प्रकार इच्छानिविर्षे एक-एक प्रकार की इच्छा अनेक प्रकार है । तहाँ केई प्रकार की इच्छा पूरण करने का कारण पुण्य उदयतें मिले । तिनिका साधन युगपत् होइ सकै नाहीं । तातै एकको छोरि अन्यकों लाग, प्राग भी वाकी छोरि अन्यकौं लागे । ऐसें ही अनेक कार्यनि ' मो० मा० प्र०, १००-१०१
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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