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________________ रचनामों का परिचयात्मक अनुशीलन यहाँ तथा कि अंतिम पृष्ठ का अंतिम शब्द' 'बहुरि' भी 'बहु' लिखा जाकर अधूरा छूट गया है । इस अधिकार का उपसंहार, जैसा कि प्रत्येक अधिकार के अंत में पाया जाता है, लिखे जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मोक्षमार्ग प्रवाशय श्री हस्तलिखित मूल प्रति देखने पर यह प्रतीत हुया कि मोक्षमार्ग प्रकाशक के अधिकारों के क्रम एवं वर्गीकरण के संबंध में 'डितजी पुनर्विचार करना चाहते थे क्योंकि तीसरे अधिकार तक तो ने अधिकार अन्त होने पर स्पष्ट रूप से लिखते हैं कि प्रथम, द्वितीय व तृतीय अधिकार समाप्त हुआ, किन्तु चौथे अधिकार से यह क्रम गड़बड़ा गया है । चौथे के अन्त में लिखा है 'छठा अधिकार समाप्त हुआ। गांचवें अधिकार के अन्त में कुछ लिखा ब कटा हुआ है । पता नहीं चलता कि क्या लिखा है एवं वहाँ अधिकार शब्द का प्रयोग नहीं है। छठे अधिकार के अन्त में छठा लिखने को जगह छोड़ी गई है। उसकी जगह ६ का अंक लिखा हुआ है । सान और पाठय अधिकार के अन्त का विवरगा म्पष्ट होने पर भी उनमें अधिकार संस्था नहीं दी गई है एवं उसके लिए स्थान खाली छोड़ा गया है। सातवें अधिकार के अन्त में आशीर्वादात्मक मंगलमुचक वाक्य 'तुम्हारा काल्यारण होगा' एवं पाठवें के प्रारंभ में मंगलाचरण नहीं है, जब कि प्रत्येक अधिकार के प्रारंभ में मंगलाचरगा एवं अन्त में मंगलसूचक वाक्य पाये जाते है । इससे ऐमा प्रतीत होता है कि शायद वे इन दोनों को गका अधिकार में ही रखना चाहते थे । इनका विषय भी मिलता-जुलता सा ही है। सातवें अधिकार में निश्चय-व्यवहार की कथनशैली से अपरिचित निश्चयाभासी, व्यवहागभासी एवम् उभवाभासी अज्ञानियों का वर्णन है, तो आठवें अधिकार में चागे अनुयोगों की कथनशैली से अपरिचित जीवों की चर्चा है; किन्तु 'अधिकार समाप्त हया' शब्द का सातवें व आठत्र दोनों में स्पष्ट उल्लेख है, इससे उक्त संभावना कुछ कमजोर अवश्य हो जानी है। १ देखिए प्रस्तुत ग्रंथ, ११६
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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