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________________ रचनात्रों का परिचयात्मक अनुशीलन डॉ. शास्त्री ने प्रेमीजी द्वारा लिखिन उक्त नामों को स्वयं भ्रमात्मक सिद्ध किया है। 'परमात्म प्रकाश' से मोक्षमार्ग प्रकाशक का दुर का भी सम्बन्ध नहीं है, अतः उसके नाम का अाधार पर उगना नाम मा जाना युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता। पंडित बंशीधरजी ने उनत ग्रंथ का नाम मोक्षमार्ग प्रकाशक' ही लिखा है। समाज में भी प्रचलित नाम 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' ही है । इसके प्रकाशित संस्करणों में अधिकांश में 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' नाम ही दिया गया है, पर किसी-किसी ने की नाही माझमा कानाकी ने दिया है । जैसे श्री नाथूराम प्रेमी ने मुखपाट पर मोक्षमार्ग प्रकाश नाम दिया है, पर भीतर राधियों में मोक्षमार्ग प्रकाशक दिया हुआ है। इसी प्रकार पं० रामप्रसाद शास्त्री ने कवर पर पर मोक्षमार्ग प्रकाशक और अन्दर भी संधियों में कई स्थानों पर मोक्षमार्ग प्रकाशक नाम दे रखा है. पर अन्दर मुखपृष्ठ पर मोक्षमार्ग प्रकाण नाम दिया है । इसमें पता चलता है कि उक्त विद्वानों का लक्ष्य ग्रन्थ के नाम की ओर नहीं गया, अन्यथा एक ही संस्करण में कहीं मोक्षमार्ग प्रकाशक और कहीं मोक्षमार्ग प्रकाश देखने को नहीं मिलता। पंडित परमानन्द शास्त्री ने गत संस्वारगों में मोक्षमार्ग प्रकाश नाम दिया था, पर अंतिम संस्करण में उन्होंने मात्र सुधार ही नहीं किया बरन् भूमिका में सिद्ध किया है कि ग्रन्थ का नाम मोक्ष मार्ग प्रकाशक ही है, मोक्षमार्ग प्रकाश नहीं। उन्होंने अपने मन की पूष्टि में मूल प्रति का अाधार प्रस्तुत किया है । पंडित टोडरमल के अनन्य सहयोगी साधर्मी भाई ब्र० गयमन ने इन्द्रध्वज विधान महान्सब पत्रिका की मूल प्रति में उक्त ग्रन्थ का उल्लेख करते हुए ग्रन्थ का नाम 'मोक्षमार्ग प्रकाशक ही लिखा है। -- ---. .-.' मा० मा० प्र० गथुरा, भूमिका, ४ २ प्रात्मानुशासन, प्रस्तावना, १० 4 थी दि. जैन मंदिर भदीचन्दजी जयपुर में प्राप्त, परिशिष्ट १
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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