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________________ रचनाओं का परिचयात्मक अनुशीलन १०५ लोक सामान्य अधिकार में तीनों लोकों का सामान्य वर्णन करके अधोलोक का विस्तार से बर्णन किया गया है । अधोलोक के वर्णन में सातों नरकों की रचना; उनके बिल, बिलों की संख्या; उनके पटल, पटलों की संख्या तथा नारकियों के दुःख, स्थिति यादि का वर्णन किया गया है। भवनवासी लोक अधिकार में भवनवासी देवों के निवास, पाय, उनके भेद-प्रभेदों आदि का विस्तार से वर्णन है । व्यंतर लोक अधिकार में व्यंतर जाति के देवों के भेद-प्रभेद, निवास, आयु, स्वभाव अादि का विस्तृत वर्णन है । गम्पोतिर्लो- राधिसर में योनिमी नेत्रों के भेद-प्रभेद, उनके विमान, स्थान, आयु प्रादि का विस्तृत विवेचन है। वैमानिक लोक अधिकार में वैमानिक देवों के निवास स्थान ऊर्धलोक का वर्णन है - जिसमें सोलह स्वर्ग, नव बेयक, नव अनुदिशा, पंच पंचोत्तर विमानों का एवं उनमें रहने वाले इन्द्र, अमिन्द्र, देवदेवांगनाओं की स्थिति, लेश्या, सुख, ऊंचाई, वैभव आदि का विस्तृत वर्णन है। मनुष्यतिर्यग्लोक अधिकार में मध्यलोक वा वर्गन है – जिसमें जम्बूद्वीप आदि द्वीपों और लवणसमुद्र आदि समुद्रों का विस्तारपूर्वक वर्णन है। जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत प्रादि सात क्षेत्र, हिमवन् आदि छः पर्वत, पद्म आदि छ: तालाब. गंगा-सिंधू ग्रादि चौदह नदियों, सुमेरू पर्वत, विजयाई पर्वत, आर्य खंड, म्लेच्छ खंड आदि का विस्तृत वर्णन है। इसी प्रकार धातकी खण्ड आदि द्वीपों का भी विस्तार से वर्णन है । तदनन्तर भरत क्षेत्र में अवपिरणी कालोत्पन्न चौदह कुलकर, चौबीस तीर्थकर, बारह चक्रवर्ती, नव नारायण, नव प्रतिनारायण, नत्र बलभद्र आदि के नाम, समय प्रादि का एवं अकृत्रिम जिन चैत्यालयों का तथा नन्दीश्वर हीप में स्थित जिन चैत्यालयों एवं जिन विम्बों आदि का भी विस्तृत वर्णन है। अन्त में प्रशस्तिपूर्वक ग्रंथ समाप्त होता है । .. ... .
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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