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________________ १०४ पंजित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व त्रिलोकसार भाषाटीका की रचना सिंघाणा में हो चुकी थी पर इसका संशोधनादिकार्य जयपूर में ही हुमा । न. रायमल ने इस संबंध में अपनी जीवन पलिक- में सात उलेम किया है । ग्रिलोकसार भापाटीका का परिमाण ब्र० रायमल द्वारा चौदह हजार श्लोक प्रमारा बताया गया है । सम्यग्ज्ञानचंद्रिका के समान इसके प्रारंभ में भी पीटिका लिखी गई है। इसमें रचना का प्रयोजन, उद्देश्य एवं ग्रंथकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए वक्ता-थोता की योग्यता और ग्रंथ की प्रामाणिकाता पर विचार किया है। ग्रंथारम्भ मंगलाचरणापूर्वक किया गया है । ग्रंथ के नामानुसार इसमें तीन लोक की रचना का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह एक तरह से जैन दर्शन सम्बन्धी भूगोल का ग्रंथ है। इसमें गणित के माध्यम से तीन लोक की रचना को समझाया गया है। अतः प्रारम्भ में गणित के ज्ञान की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए आवश्यक गणित को विस्तार से समझाया गया है। सर्वप्रथम परिकर्माप्टक का स्वरूप समझाते हुए उसके निम्न पाठ अंगों को स्पष्ट किया है :- (१) संकलन, (२) व्यकलन, (३) गुणाकार, (४) भागहार, (५) वर्ग, (६) वर्गमूल, (७) धन, और (८) घनमूल । उसके बाद त्रैराशिक धेशीव्यवहार, सबंधारा, क्षेत्रमिति (रेखागरिंगत) आदि का वर्णन किया है। इसके बाद ग्रंथ का मूल विषय प्रारम्भ होता है । इसके छः अधिकार हैं :-- (१) लोक सामान्य अधिकार (२) भवनबासी लोक अधिकार (३) व्यंतर लोक अधिकार (४) ज्योतिर्लोक अधिकार (५) बमानिक लोक अधिकार (६) मनुष्यतिर्यग्लोक अधिकार परिशिष्ट २ वही
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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