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पंडित टोडरमल व्यक्तित्व र कर्तृत्व
सम्यग्ज्ञानचंद्रिका को हम निम्नलिखित चार महाअधिकारों में विभक्त पाते हैं :
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(१) गोम्मटसार जीवकाण्ड भाषाटीका महाअधिकार (२) गोम्मटसार कर्मकाण्ड भापाटीका महाअधिकार (३) अर्थसंदृष्टि महाअधिकार
(४) लब्धिसार-क्षपणासार भाषाटीका महाग्रधिकार
सर्वप्रथम गोम्मटसार ग्रंथ की टीका की गई है । गोम्मटसार ग्रंथ में दो महाअधिकार हैं - ( १ ) जीवकाण्ड और ( २ ) कर्मकाण्ड | जीवकाण्ड के अन्तर्गत निम्नलिखित बाईस अधिकार हैं, जिनमें प्रत्येक में अपने-अपने नामानुसार विषयों का विस्तृत वर्णन है :
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( १ ) गुणस्थान अधिकार
( २ ) जीवसमास अधिकार
( ३ ) पर्याप्त अधिकार
( ४ ) प्राण अधिकार
( ५ ) संज्ञा अधिकार
( ६ ) गतिमार्गरणा अधिकार ( ७ ) इन्द्रियमार्गणा अधिकार (८) काय मार्गणा अधिकार ( 2 ) योगमार्गरणा अधिकार (१०) वेदमार्गणा अधिकार (११) कषायमार्गणा अधिकार (१२) ज्ञानमार्गणा अधिकार (१३) संयममार्गणा अधिकार (१४) दर्शनमार्गणा अधिकार (१५) लेण्यामार्गणा अधिकार (१६) भव्यमार्गणा अधिकार ( १७ ) सम्यक्त्वमार्गणा अधिकार
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