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________________ ८६ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व र कर्तृत्व प्रकाशित हो चुकी हैं। इसकी पीठिका का पूर्वार्द्ध अलग पंडित भागचंद छाजेड़ के 'सत्तास्वरूप के साथ भी प्रकाशित हो चुका है' । गोम्मटसार जीवकाण्ड, गोम्मटसार कर्मकाण्ड, लब्धिसार श्रौर क्षपणासार की भाषाटीकाएँ पंडित टोडरमल ने अलग-अलग बनाई थीं, किन्तु उक्त चारों टीकाओं को परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित एवं परस्पर एक का अध्ययन दूसरे के अध्ययन में सहायक जान कर उक्त चारों टीकाओं को मिलाकर उन्होंने एक कर दिया तथा उसका नाम 'सम्यग्ज्ञानचंद्रिका' रख दिया। इसका उल्लेख उन्होंने प्रशस्ति में स्पष्ट रूप से किया है तथा पीठिका में उक्त नारों ग्रंथों की टीका मिला कर एक कर देने के सम्बन्ध में उन्होंने सयुक्ति समर्थ कार प्रस्तुत किए हैं। इन चारों ग्रंथों की भाषाठीकायों का एक नाम 'सम्यग्ज्ञानचंद्रिका' रख दिए जाने के अनन्तर भी इनके नाम पृथक्-पृथक् – गोम्मटसार जीवकाण्ड भाषाटीका, गोम्मटसार कर्मकाण्ड भाषाटीका एवं लब्धिसार-क्षपरणासार भापाटीका भी चलते रहे । कारण कि इतने विशाल ग्रंथ न तो एक साथ छापे ही गए एवं न ही हस्तलिखित प्रतियों में एक साथ लिखे गए और न शास्त्र-भंडारों में रखे गए, तथा मूल ग्रंथों के नाम अपने आप में अधिक लोकप्रिय होने से उन्हें लोग उन्हीं नामों के आगे 'भाषादीका' शब्द लगा कर ही प्रयोग में लाते रहे । श्रतः 'सम्यग्ज्ञानचंद्रिका' वास्तविक नाम होने पर भी प्रयोग में कम आया । १ प्रकाशक : श्री दि० जैन मुमुक्षु मण्डल, सनावद ( म०प्र०) ' या विधि गोम्मटसार लब्बिसार ग्रन्थनि को, भित्र-भित भापाटीका कीनी अर्थ गायकं । भूमिक परस्पर सहाय देयो, जानें एक करि दई हम चिनकी मिलाइकें ॥ सम्यग्ज्ञान चद्रिका पर्यो है याको नाम, सोई होत है सफन ज्ञानानन्द जाजायकें 1 कलिकाल रजनी में अर्थ को प्रकाश करें, यात निजकाज की इष्ट भाव भायक ||३०|| 3 ० चं० पी०, ५०
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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