SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कष गोम्मटसारादि ग्रन्थों की टीका बनाई थी | जब ये दोनों "मल्ल" (टोडरमल और रायमल) तत्त्वप्रचार के अखाड़े में उतरकर आए तो फिर और मल्लों की आवश्यकता ही नहीं रही थी । इन दोनों महानुभावों ने मात्र ग्रन्थों की रचनाएँ ही नहीं की, वरन उन्हें पढ़ाया, उन पर प्रवचन दिए, उनकी बहस सी प्रतिलिपियाँ वाला और जह. हा सावता ससझी, पहुंचाई। इस प्रकार उन्होंने सर्वत्र आध्यात्मिक वातावरण बना दिया। सिंघारणा से जयपुर लौटने के बाद तत्कालीन जयपुर नरेश माधोसिंह के दीवान रतनचंद और बालचंद छाबड़ा उनके सम्पर्क में आए। वे उनकी दैनिक सभा के श्रोता थे । पं० टोडरमल के सान्निध्य में वर्तमान में राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर जयपुर में वि० सं० १८२१ में 'इन्द्रध्वज विधान महोत्सव' नामक विशाल उत्सव का सफल संचालन दीवान रतनचंदजी एवं दीवान बालचंदजी छाबड़ा ने ही किया था । दीवान रतनचंदजी की पंडित टोडरमलजी के प्रति १ "रायभरून साधर्मी एक, धर्म सधैया सहित विवेक । सो नाना विधि प्रेरक भयो, तब यहु उत्तम कारज थयो ।" - स. चं० प्र० २ "दासी श्री जयपुर तनों, टोडरमल्ल किपाल । पुनि ताके तट दूसरो रायमल्ल बुधराज । जुगल मल्ल जब ये जुरे, और मल्ल किह काज ।।" - शा. पु०व०प्र० 3 "सभाविध गोमट्टसारजी का व्याख्यान होय है।"........"एह व्याख्यान टोडरमल्लजी कर हैं।" - ६० वि० पत्रिका, परिशिष्ट १ "तहां गोम्मटसारादि च्या ग्रंथा कू सोधि याकी बहोत प्रति उतराई, जहाँ सैली छौं तहाँ-तहाँ सुधाई-सुषाई पधराई ।" - इ. वि. पत्रिका, परिशिष्ट १ . ५ "पर दोन्यू दीवान रतनचंद व बालचंद या कार्य विष अग्रेसरी हैं ।" - इ० वि० पत्रिका, परिशिष्ट १
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy