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________________ के आधार पर “ पाहुड - दोहा " का सम्पादन किया था, उन को ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया है और मुद्रित संस्करण से भी पर्याप्त सहायता ग्रहण की है । लेखक विनम्र भाव से हृदयावनत हो उनका बहुत-बहुत आभार मानता हुआ बारम्बार स्मरण करता है तथा अत्यन्त कृतज्ञता का भाव व्यक्त करता है । पुस्तक को उपयोगी बनाने में जिन विद्वानों तथा स्वाध्यायी बन्धुओं के सुझाव मिले हैं, उन सबका आभार है। विशेषकर डॉ. वीरसागर जैन के प्रति आभारी हूँ, जिनके मूल्यवान सुझाव उपयोगी प्रतीत हुए। इसके सुन्दर मुद्रण तथा प्रकाशन के लिये मैं भारतीय ज्ञानपीठ और उनके अधिकारियों के प्रति अपना आदर भाव प्रकट करता हुआ आभार मानता हूँ । - देवेन्द्रकुमार शास्त्री 26 : पाहु
SR No.090321
Book TitlePahud Doha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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