________________ पअनन्धि पापियति ९.शिखरिणी (पू. 25-223)-10,11,15,, ..,., 15, 122-23, 3.11. इसके प्रस्मेक चरणमे मगल, माण, नाग, समन, मगण और फिर क्रमसे / वर्ष भुप बर्ष दीर्य होता है। 10. दुसविलम्बित (1.83-62)-11151-1931.. इसके प्रत्येक चरणमें नगण, मगण, भगण और एगण होते है। 11. पृथ्बी (...3.124)-48, 56, 19, 10, 151, 201, 8.9, 8536. इसके प्रत्येक भणमें जगण, सगम, जगण, संगण, पगण मौर कमसे / वर्ण का गौर / गुरु होता है। पति 89 वापर होती है। 12. मन्दाकान्ता (पू.८३-१२७)-२१, 100, 8, 10, 100, 18tt. इसके प्रत्येक वाण मगण, भगण, नगल, बगल, सगण और अन्त में वीर्य वर्ण होते हैं। पति, . और बोंपर होती है। 13. उपेन्द्रवजा (ए.८५-४२)-५८, 203565. इसके प्रतेक पाने वगण, बगनबार सम्बने गुरु दो / 14. इन्द्रवजा (3.83-41)-55, 15-10-.. इसके माता ममें समल, फिर वगण, बगल और पवने व पुरु होते हैं। 15. भुजंगप्रपात (.8-70)-41. इसके प्रत्येक को 4 पगल होते है।