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पद्मचरित का परिचय : १३ है। चामुणराय त्रिषष्ठिलमण महापुरुष के लेखकों की सूची निम्नलिखित देते है- कूचिभट्टारक, नन्दिमुनीश्वर, कवि परमेश्वर, जिनसेन, गुणभद्र ।
पद्मचरित के दूसरे पर्व में राजा श्रेणिक अपने मन में विचार करता है कि ओ जिनश्चम के प्रभाव से उत्तम गनुष्य थे, उच्चकुल में उत्पन्न हुए थे, विद्वान् पे और विधाओं के द्वारा जिनके मन प्रकाशमान थे, ऐसे रावण आदि लौकिक अन्यों में चर्वी, मधिर तथा मांस का भक्षण करने वाले रसमस सुने जाते हैं।" रावण का भाई कुम्भकरण महाबलवान था और घोर निद्रा से युक्त होकर छ: माह तक निरन्तर सोता रहता था ।२२ यदि मदोन्मत हाथियों के द्वारा भी ससका मदन किया जाय. तपे हा तेल के कड़ाहों से उसके कान भरे जावें और मेरी और शवों का बहुत भारी पब्द किया जाय तो भी समय पूर्ण न होने पर वह जागृत नहीं होता था ।२३ बहुत बड़े पेट को धारण करने वाला वह कुम्भकरण जब जागता था तह भूख और प्यास मे इतना व्याकुल हो उठता था कि माने जो भी शादि दिखाई में हें समा इस प्रकार वह बहुत ही दुदर था ।" तिथंच मनुष्य और देवों के द्वारा तप्ति कर पुनः सो जाता था। उस समय उसके पास कोई अन्य पुरुष नहीं ठहर सकता था ।५ कितने आश्चर्य की बात है कि पापवर्द्धक खोटे ग्रन्थों की रचना करने वाले मुर्ख कुकवियों ने उस विद्याधर कुमार का कैसा बीभता चित्रण किया है ?३६ जिसमें यह सब परित्र चित्रण किया गया है, वह अन्य रामायण के नाम से प्रसिद्ध है और जिसके विषय में यह प्रसिद्धि है वह सुनने वाले मनुष्यों के तत्क्षण समस्त पाप नष्ट कर देता है ।२७ पद्मचरित के इस उल्लेख से स्पष्ट है कि उसके समय वाल्मीकीय रामायण या उस जैसी कोई दूसरी रामायण अवश्य प्रसिद्ध रही होगी, जिसमें उपयुक्स मान्यताओं का वर्णन रविषेण को मिला होगा।३८ पद्मचरित में आये वर्णनों से यह तो अवश्व सिद्ध होता है कि रविषेण द्वारा दो मई कथा के बहुत से अंश बाल्मीकीय रामायण से मिलते-जुलते है। आधुनिक अन्वेषकों ने महा'भारत के द्रोणपर्व, शान्तिपर्व तथा अन्य निर्देशों से अनुमान लगाया है कि बाल्मीकि रामायण से पूर्व भी रामकथा सम्बन्धी आख्यान प्रचलित थे जिनके
३०. रामकथा-पृ. ७७-७८ (ले० बुरूके)। ३१, पद्म २।२३०२३१ । ३२. पद्मचरित २०२३२ ।
३३. पद्म० रा२३३-२३४ । ३४. पद्म० २।२३५ ।
३५. पद्म० २।२३६ । ३६. वही, २।२३७ ।
३७. वही, २२२३८ । ३८. पन्द्रशेखर पाण्डेय तथा वाान्तिकुमार नानूराम व्यास : संस्कृत साहित्य की
रूपरेखा, पृ० १२ ।