________________
राजनैतिक जीवम : २२७ वोणा,३२५ बेणु,२॥ (बाँसुरी), शंख, २७ मृर्षम,२२८ सल्लर (झालर),२९ काहला,१३० मर्दक,*११ दुन्दुभि,१३९ भंभा," लम्पाक, धुन्धु, एक मण्ढुक, मम्ला,३५° अम्लातक, " हक्का,१ हुँकार,५४० दुन्दुकाणक, ४१ मर्डर,४२ हेतुकगुजा,३४१ दर्दुर, सूर्य,१४५ वंशाः, पटह' (नगाड़ा) लम्प, १४८ गुजा,२६१ रटित,३५० मला.१५१ का ५२ मा जुम्वा ।।
उपक्त वाद्यों से होने वाले शब्दों के अतिरिक्त हलाहला के शब्द, अट्टहास के शब्द, घोड़े, हापी, सिंह घोर ध्याघ्रादि के शब्द, भांड़ों के विशाल शब्द, बन्दीजनों के विरदपाठ,१५५ सूर्य के समान तेजस्वी रथों की मनोहर चीत्कार, पृथ्वी के कम्पन से उत्पन्न शब्द और इन सबकी करोड़ों प्रकार की ध्वनियों के शम्मा इस तरह विभिन्न प्रकार के शब्दों का उल्लेख मिलता है।
युद्ध की विधि (नियम)--पद्म चरित के अनुसार युद्ध की यह विधि (नियम) है कि दोनों पक्षों के खेदखिन्न तथा महाप्यास से पीड़ित मनुष्यों के लिए मधुर तथा शीतल जल दिया जाता है । १५७ भूख से दुःखी मनुष्य के लिए अमृत तुल्य अच्छा भोजन दिया जाता है । पसीना से युक्त मनुष्यों के लिए ३२५, पद्म० ६।३७९ ।
३२६. पप० ६४३७१। ३२७. वही, ६।३७१ ।
३२८. वही, ६६३७९ । ३२९. वही, ६१३७९ ।
३३०. वही, ६।३७९ । ३३१. वहीं, ६।३७९ ।
३३२, वही, ४९।४३ । ३३३. वही, ५८१२७ ।
३३४. वही, ३३५. वाही,
३३६. वही,
३३८. वही, ३३९. वहीं,
३४०. वहीं, ३४१. मही,
३४२. वहीं, ५८।२८ । ३४३. वही, ५८/२८ ।
३४४, बही, ५८।२८। ३४५. वही, ४३।३ ।
३४६. वही, ११०।३५ । ३४७. वही, ८२।३० ।
३४८. वही, ८२।३०। ३४९. वहीं, ८२॥३१
३५०. वही, ८२।३१ । ३५१. वही, ८०५५ ।
३५२. वही, ८०५५ । ३५३. वही, ८०५५ ।
३५४. वहीं, ८०।३२ । ३५५. वही, ८२१३३ ।
३५६. बाही, ८२॥३४॥ ३५७. खिन्नाम्यां दीयते स्वादु जलं तान्या सुशोतलम् ।
महातर्षाभिभूसाम्यामयं हिं समरे विधिः ।। पप. ७५।१ ।