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सामाजिक व्यवस्था : १०१ मयूरमालनगर --यह विजयाच पर्वत के दक्षिण ओर फैलाश पर्वत के उत्तर की ओर स्थित अवर्वर देश का एक नगर था।
नैषिक ७१२–एक ग्रामविशेष । पनवरित के कुछ संस्करणों में इसका नाम नैमिष भी मिलता है । ७१३ __ मेघरब १४-विन्ध्यवन को भूमि में स्थित एक स्थान है जहाँ इन्द्रजित के साथ मेघवाहन मुनि रहे। उपर्युक्त घटना के कारण यह स्थान मेघरव तीर्थ के नाम मे प्रसिद्ध हुआ।
पिठरक्षित २५... रजोगुण तथा तमोगुण से रहित कुम्भकर्ण योगी नर्मदा के जिस तौर पर निर्वाण को प्राप्त हुए थे वहाँ पिठरक्षित नामक तीर्थ प्रसिद्ध
प्रजाग १६-नीलांजना अप्सरा का नल्य देख भगवान् ऋषभदेव अपने सौ पुत्रों को राज्य में प्रजा से निस्पृह हो घर छोड़कर तिलक नाम के उद्यान में गए इसलिए लोक में बह उद्यान प्रबाग इस नाम से प्रसिद्ध हुआ।
चन्द्रादित्यपुर७९७-धुकर द्वीप का एक नगर। रत्नपुर२८--विजया पर्वत की दक्षिण दिशा का एक नगर । क्षेत्र –भरतक्षेत्र का एक नगर 1 क्षेमपुरी ००–मेरुपर्वत को पश्चिम दिशा में स्थित एक नगरी । दिति ०१-ऐरावत. क्षेत्र का एक नगर ।
मत्तकोकिल ०२—यह जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में विजयावती नगरी के समीप स्थित एक पाम या ।
विजयावती -जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र की एक नगरी । उपर्युक्त नगरों के अतिरिक्त पाचरित में पुष्पान्तक,०४ अरुणग्राम,८०५
७९५. पा० २७।५-७ ।
७९२. पद्म० ५५४५७ । ७१३. पमपुराण (भाग २) १० ३५५ (अनु० पं० पन्नालाल साहित्याचार्य)। ७९४. पन ८०।१३६ । ७९५. प. ८०।१४०॥ ७९६, वही, ८५।३८-४० । ७९७, वही, ८५१९६। ७९८. वही, ९३।१।
७९९. वही, १०६।१०। ८००, वही, १०६।७५ ।। ८०१. बही, १०६।१८७ । ८०२. वही, १०६।१९० । ८०३. वही, १०६।१९०। ८०४. बहो, १६१ 1
८०५. बही, १५८३ । . .