________________ मूल टिप्पण्युपयुक्तप्रन्थ सकतविवरणम् . 555 सा मार-सांख्यकारिका'माठरवृत्तिः [चौखंबा | प्र-प्रस्तावः काशी] इको श्लोक प्र. न. 31,54, 229, 524 | सिद्धिविही -सिद्धिविनिश्चयटीका [पं० सुखद्वि० ख०२७२ लालसत्का] सौ तवरको सारख्यतम्यको मुदी [चौखम्बा / साताको काशी] स्फुटार्थ अभि-स्फुटार्या अमिधर्मकोशव्याख्या 10 ख- 31,471 [विक्लोथिका बुखिका राशिया] दि० ख० 181, 208 प्र० ख०२, 82 खि. कौ०-सिद्धान्तकौमुदी स्फोटसि -सोटसिद्धिः [ मद्रास यूनि.] प्र०ख० 33, 34 ___ द्वि० स्व० 329, 330, 331, 332 सिर द्वानिं०-सिद्धसेनद्वात्रिंशिका भावनगर] स्था०र० / स्यादवादरलाकरः [भइतप्रभाकर द्वि० ख० 256 स्या रमा कार्यालय, पूना सिविधि-सिद्धिविनिश्चयः सिद्धिविनिश्चयटीकातः | प्र० स०५६, 216, 221 समुद्धृतः[सम्पादकसत्क] द्वि० ख० 181, 339 प्र० स०६३, 66, 70, 98, 168, 169, | हेतुषि-हेतुविन्दुः बड़ौदा सीरीज ] 179, 181, 231, 233, 304, 376, प्र.स. 283, 365 391, 408, 414, 417, 418, वि० ख० 152 432, 441, 475, 493, 496, 520, | हेतुमिरी.-हेतुबिम्पुटीका [बदौथा सीरीज7 प्रख० 11,55, 119, 133, 151, 321, दि० स्व. 9,34, 41, 52, 110, 133, 385, 446, 447, 448, 449, 452, 161, 162, 166, 181, 231, 238, 252, 329, 265 द्वि० स्व. 155, 153, 149, 191, 197, का-कारिका 198, 354 गा--पाया म. ७०-हैयशतवदासुशासनवृत्तिः [ मा] परिक-परिच्छेद प्रव०५८ मुद्रक-भोपकामा कपूर, शाममा पन्नासप, बनारस, 21-1.