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न्यायरत्नसार न्यायरत्नावली बृहत् टीका समन्वित
प्रथम अध्याय
सूत्र १-१३
पृष्ठ १-१६
मंगलाचरण : प्रमाण स्वरूप-चर्चा
द्वितीय अध्याय
सूत्र १-१८
पृष्ठ २०-३७
प्रत्यक्ष-परोक्ष आदि भेद से प्रमाण के भेदोपभेद की चर्चा
तृतीय अध्याय
सूत्र १-७३ पृष्ठ ३८-८१ परोक्ष प्रमाण के अनुमान आदि प्रमाणों का प्रामाण्य कथन
चतुर्थ अध्याय
सूत्र १-३६
पृष्ठ ८२-१२४
आगम प्रमाण चर्चा
पंचम अध्याय
सूत्र १-४१
पृष्ठ १२५-१६७
प्रमाण-फल की चर्चा
षष्ठ अध्याय
सूत्र १-३७
पृष्ट १६७-१९८
नय विवेचन